कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश की ग्वालियर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने जिले के दो तत्कालीन थाना प्रभारियों के खिलाफ आदिवासी युवक की मौत से जुड़ी जांच में गंभीर लापरवाही बरतने पर सख्त टिप्पणी की है। साथ ही एसपी को उनके खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने इस मामले में आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी मनोज आदिवासी को बरी कर दिया है।

शुरूआती जांच के बाद कोर्ट ने मामले को माना संदिग्ध

जिला अदालत का मानना है कि जिस अजय आदिवासी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई थी, उसे पुलिस आत्महत्या के लिए उकसाने या फिर आत्महत्या करने का ही मुकदमा मान रही है। जबकि, इसके उलट यह मामला पूरी तरह संदिग्ध है और हत्या से जुड़ा भी हो सकता है। पुलिस ने आरोप के आधार पर इस मामले में मनोज आदिवासी को गिरफ्तार किया ,उसके खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा भी दर्ज किया। जबकि पेश की गई शुरुआती जांच के आधार पर कोर्ट ने माना कि ये मामला संदिग्ध है और हत्या दिखाई देता है। 

कोर्ट ने दोबारा जांच के दिए थे निर्देश

एफएसएल रिपोर्ट और मौके के फोटोग्राफ देखने के बाद शासकीय अधिवक्ता मृत्युंजय गोस्वामी ने भी इस मामले में दोबारा जांच की न्यायालय से मांग की थी। जिसे विशेष न्यायालय ने स्वीकार करते हुए तीन बिंदुओं पर भंवरपुरा थाने के तत्कालीन इंचार्ज बलवीर मावई को जांच के आदेश दिए थे। 

यह थे जांच के बिंदु

पहला– क्या मामला हत्या का है? यदि हत्या का है तो उसके पीछे मकसद क्या था?

दूसरा– मृतक अजय आदिवासी के साले रामनिवास और मृतक की पत्नी सरस्वती ने अपने बयानों में क्या बताया था? क्योंकि मृतक के साले रामनिवास ने ही पुलिस को घटना की सबसे पहली सूचना दी थी।
तीसरा-फांसी लगाने वाला अपने दोनों हाथ पीछे बांधकर कैसे फंदे पर लटका होगा?

कोर्ट के आदेश के बाद थाना इंचार्ज ने माना आत्महत्या का मामला  
आपको बता दे कि यह घटना 28 जून 2023 की है। घटना के बाद सरकारी वकील की आपत्ति के बाद फरवरी 2024 में कोर्ट ने दोबारा जांच के आदेश दिए। तब भंवरपुरा थाने के नए इंचार्ज सुरेंद्र सिकरवार ने भी इस मामले को आत्महत्या का केस माना। जबकि मौके पर ऐसे कई बिंदु थे जिससे यह मामला सीधे तौर पर हत्या का लग रहा था। फांसी लगाने वाला कोई भी व्यक्ति अपने दोनों हाथ पीछे बांधकर फांसी नहीं लगाएगा। उसके हाथों की हथेलियां पर भी चोटों के निशान थे। आत्महत्या करने वाला व्यक्ति खुद ही अपने हाथों को चोटिल नहीं करेगा।

आरोपी बनाए गए युवक से मृतक की पत्नी के थे अवैध संबंध

शासकीय अधिवक्ता मृत्युंजय गोस्वामी ने बताया कि अभियोजन में इस मामले में आत्महत्या के लिए उकसाने का चालान पेश किया था। लेकिन सुनवाई के दौरान बंटी नामक युवक ने कोर्ट को बताया था कि इस मामले में मनोज को आरोपी बनाया गया है। उसके मृतक की पत्नी से संबंध थे। सरस्वती की एक लड़की अजय से तो लड़का आरोपी मनोज से था। इस मामले में लड़के का डीएनए भी नहीं कराया गया। यह भी पुलिस विवेचना में कमी देखी गई। हैरानी की बात यह है कि कोर्ट की आपत्ति के बावजूद पुलिस अफसर ने विवेचना में गंभीरता नहीं बरती।

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