अखिलेश बिल्लौरे, हरदा। मध्य प्रदेश के हरदा से चार सौ बीसी का एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां शहर की नामी भूमि व करोड़ों की संपत्ति को पहले ही एक दो नहीं बल्कि तीन लोगों को बेच दिया गया। फिर उसी भूमि पर निर्माण कर नगर पालिका से इसकी अनुमति भी ले ली गई। जब मामले का खुलासा हुआ तो पालिका के अधिकारी भी सन्न रह गए। जिसके बाद अब इस मामले में FIR दर्ज करने की तैयारी है।
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शहर में यह पहला मामला है जिसमें झूठा प्रतिवेदन नगर पालिका को सौंप कर निर्माण की अनुमति प्राप्त की गई । बता दें छत्रपति शिवाजी वार्ड में बने आवासीय एवं व्यावसायिक तिलक भवन की अनुमति को नगर पालिका ने 9 साल बाद अब निरस्त कर दिया है। निर्माण की अनुमति अभय केकरे ने ली थी। अनुमति लेने से पहले ही यह जमीन तीन लोगों को बेच चुके थे। निर्माण की अनुमति के लिए झूठा शपथ पत्र देने के कारण नई अनुमति कैंसिल की। साथ ही अभय कैकरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने आवेदन दिया है। बीच शहर में स्थित छत्रपति शिवाजी वार्ड नंबर 9 में मंगेश भवन के नाम से जीएनके (गोपालराव नानायणराव केकरे) मेमोरियल प्राइवेट ट्रस्ट था। जिसे तिलक भवन के नाम से जाना जाता है। तत्कालीन कांग्रेस प्रवक्ता और अभय केकरे इस ट्रस्ट के न्यासी प्रबंधक थे। जिन्होंने ट्रस्ट के पुराने भवन को तोड़कर 285.85 वर्गमीटर जमीन पर व्यावसायिक एवं आवासीय भवन बनाने की अनुमति के लिए मुख्य नपा अधिकारी के नाम एक मई 2015 को शपथ पत्र और आवेदन दिया। शपथ पत्र में यह भी कहा कि निर्माण में दिए दस्तावेज और शपथ पत्र की सत्यापित प्रतियां हासिल कर शिकायत को उजागर किया। उन्होंने कहा जिस 285.05 वर्गमीटर जमीन पर दोबारा निर्माण के लिए केकरे द्वारा शपथ पत्र दिया गया वह झूठा था।
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शिकायतकर्ता अजय गोरखे ने बताया यह जमीन केकरे द्वारा 16 मार्च 2015 को ही तीन लोगों को बेची जा चुकी थी। जिसकी वे रजिस्ट्री कर चुके थे। उन्होंने बताया केकरे ने दो माह पहले रामकुमार सोनी पिता ओमप्रकाश सोनी, हरीश पेशवानी पिता वासुदेव पेशवानी और हरीशचंद पिता बेनीप्रसाद गुप्ता को बेचने के बावजूद अपने संपति व आधिपत्य बताते हुए निर्माण अनुमति के लिए झूठा शपथ पत्र दिया। उन्होंने बताया कि ट्रस्ट को जमीन दान में मिली थी, उसे जमीन को बेचने का अधिकार नहीं था। एसडीएम कोर्ट में उन्होंने इस जमीन के प्रति हस्थानांतरण करने का आवेदन दिया था । जिसमें कहा कि मैं इस जमीन के बदले ग्राम खेड़ा मे 11.20 एकड़ जमीन खरीदने की बात कही थी। बेचने के बाद भी जमीन 9 साल बाद भी नहीं खरीदी। अब नगर पालिका इस मामले को देखते हुए FIR करवाने की तैयारी में जुट गई है।
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