कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर आईजी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत याचिका खारिज वाले 3 आरोपियों की गिरफ्तारी रोकना भारी पड़ गया।  इस मामले में हाईकोर्ट ने आईजी को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से तलब कर सवाल जवाब किया। मामले में हाईकोर्ट जस्टिस विशाल धगट ने आईजी से सवाल करते हुए कहा कि जब आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट तक ने खारिज कर दी है तो फिर आईजी ने किस आधार पर दोनों की गिरफ्तारी रोकने के लिए लेटर जारी किया। 

हाईकोर्ट जस्टिस विशाल धगट ने आईजी के उस लेटर पर हैरानी जताई, जिसमें उन्होंने कहा था कि जांच पूरी न होने तक आरोपियों की गिरफ्तारी न की जाए। हाईकोर्ट में आईजी को अगली सुनवाई यानी 29 अप्रैल को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से हाजिर हो जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।

क्या है पूरा मामला?

कटनी निवासी हरनीत सिंह लांबा ने 27 जुलाई 2024 को कटनी के कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी जिसमें उन्होंने कहा था कि हरगढ़ स्थित कंपनी में 5 जून 2018 को वो डायरेक्टर बनाए गए थे। जिसमें कंपनी के अन्य डायरेक्टर रायपुर निवासी हिमांशु श्रीवास्तव, संपत्ति जैन, सुनील अग्रवाल,लाची मित्तल और कटनी निवासी सुरेन्द्र सिंह आहूजा थे। 

FIR में कहा गया है कि चारों ने मिलकर उन्हें हरनीत सिंह लांबा और सुरेंद्र सिंह आहूजा को धोखे से डायरेक्टर के पद से हटा दिया था। FIR के बाद कटनी जिला न्यायालय ने चारों आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था, जो मामले को कटनी से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ले गए। लेकिन वहां से भी उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो गई। तीनों की जमानत याचिका खारिज होने के बाद कटनी जिला अदालत ने तीनों का गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। जिस पर जबलपुर आईजी ने जांच पूरी न होने तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए पत्र जारी किया था।

अगली सुनवाई तक जनरल मीटिंग में रोक के आदेश

कोर्ट को बताया गया कि अप्रैल 2025 को रायपुर में यूरो प्रतिक इस्पात इंडिया लिमिटेड की जनरल मीटिंग में याचिकाकर्ता हरनीत सिंह लांबा और सुरेंद्र सिंह आहूजा को कंपनी के डायरेक्टर पद से बाहर निकलने का निर्णय होना है। इस पर कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अगली सुनवाई तक कंपनी की जनरल मीटिंग पर रोक लगाने के भी आदेश दिए हैं।

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