शब्बीर अहमद, भोपाल। हमेशा सुर्खियों में रहने वाले मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस नियाज खान (IAS Niaz khan) ने एक और मुद्दा उठाया है। इस बार श्वेत- अश्वेत को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है।
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रंग काला या अश्वेत होना अंग्रेजी साहित्य में अंतरराष्ट्रीय मुकाम हासिल करने में बाधा होना चाहिए? हम बहुत अच्छा लिखें पर हमारी किताबें अश्वेत होने के कारण गोरे न देखें ये कहां का न्याय है? मुझे दुःख है कि अश्वेत होने के कारण 14 साल की मेरी अंग्रेजी नॉवेल पर कड़ी मेहनत बेकार गई। (आईएएस नियाज खान) मैंने गोरे देशों में कई बुक भेजी पर अश्वेत होने के कारण वहां मेरे साहित्य की कदर नहीं हुई। मैंने 4 अंतरराष्ट्रीय नॉवेल लिखे पर अंतरराष्ट्रीय मुकाम हासिल नहीं कर पाया। गिने चुने अश्वेत लेखकों को ही सफलता मिली जो जाकर उनके यहां रहे। अश्वेत होना अंग्रेज़ी साहित्य में बहुत बड़ी बाधा है।
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