इंदर कुमार जबलपुर। मध्यप्रदेश में पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) के अधिकार को लेकर हाइकोर्ट का अहम फैसला सामने आया है। कोर्ट से अग्रिम जमानत खारिज वाले की गिरफ्तारी रोकने आईजी को अधिकार नहीं है। आईजी सिर्फ मामले में सिर्फ जांच अधिकारी बदल सकता है। कटनी के एक माइंस कंपनी मामले में सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने यह फैसला सुनाया है।

जबलपुर आईजी ने सुप्रीम कोर्ट से जमानत खारिज होने वाले 3 आरोपियों की गिरफ्तारी रोकने लेटर जारी किया था। हाइकोर्ट ने आईजी से जवाब तलब किया था। कटनी निवासी हरनीत सिंह लांबा ने याचिका लगाई थी। रायपुर स्थित यूरो प्रतीक इस्पात इंडिया लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर पद को लेकर विवाद है।

फैक्ट फाइल

याचिकाकर्ता को षडयंत्र कर कंपनी के डायरेक्ट पद से हटाने का आरोप है। याचिकाकर्ता 5 जून, 2018 को कंपनी में डायरेक्टर बनाए गए थे। हरनीत सिंह लांबा ने 27 जुलाई 2024 को कटनी के कोतवाली थाने में FIR दर्ज कराई है।
कंपनी के अन्य डायरेक्टर रायपुर निवासी हिमांशु श्रीवास्तव, संपत्ति जैन, सुनील अग्रवाल, लाची मित्तल और कटनी निवासी सुरेन्द्र सिंह आहूजा के खिलाफ याचिकाकर्ता को षडयंत्र कर कंपनी के डायरेक्ट पद से हटाने का आरोप है।

कटनी कोतवाली थाने में FIR दर्ज

याचिकाकर्ता 5 जून, 2018 को कंपनी में डायरेक्टर बनाए गए थे। हरनीत सिंह लांबा ने 27 जुलाई 2024 को कटनी के कोतवाली थाने में FIR दर्ज कराई। कंपनी के अन्य डायरेक्टर रायपुर निवासी हिमांशु श्रीवास्तव, संपत्ति जैन, सुनील अग्रवाल, लाची मित्तल और कटनी निवासी सुरेन्द्र सिंह आहूजा के खिलाफ FIR थी।

कंपनी की बोर्ड बैठक पर रोक बरकरार

FIR के बाद कटनी जिला न्यायालय ने चारों आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। आरोपियों ने जिला अदालत के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था, जिसके बाद जबलपुर आईजी ने लेटर जारी कर तीनों की गिरफ्तारी ना करने की बात कही थी। पिछली सुनवाई में जस्टिस विशाल धगट की बेंच ने आईजी से जवाब तलब किया था। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की बेंच ने फैसला सुनाया है। हाइकोर्ट की मुख्य बेंच ने भी कंपनी की बोर्ड बैठक पर रोक बरकरार रखी है।

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