हेमंत शर्मा, इंदौर। एक ओर जहां देश की रक्षा करने वाले सैनिक उम्मीद से घर लेकर बैठे हैं। वहीं दूसरी ओर उनके नाम पर शुरू की गई गैलेड्री लैंडमार्क कॉलोनी में न सिर्फ जवानों को ठगा गया, बल्कि प्रशासन के साथ भी गंभीर धोखाधड़ी सामने आई है। अब खुलासा हुआ है कि कॉलोनाइजर संजीव सिंह और संतोष ने प्रशासन के पास बंधक रखे गए प्लॉट भी धोखे से छुड़ा लिए। बैंक में जमा गारंटी की राशि भी समय से पहले मुक्त करवा ली। जबकि कॉलोनी का डेवलपमेंट आज तक पूरा नहीं हुआ।

2014 में मिली थी विकास अनुमति, लेकिन कॉलोनी आज भी अधूरी

साल 2014 में कॉलोनाइजर संजीव सिंह और संतोष को कॉलोनी के विकास की अनुमति मिली थी। नियमानुसार, कुछ प्लॉट प्रशासन के पास बंधक रखे गए थे ताकि कॉलोनी का पूरा विकास सुनिश्चित किया जा सके। लेकिन कॉलोनाइजर ने कागजों की बाजीगरी कर उन बंधक प्लॉट्स को फर्जी तरीके से मुक्त करवा लिया, और बैंक से गारंटी फंड भी निकलवा लिया।

विकास अधूरा, सुविधाएं नदारद-सैनिक परिवार बेहाल

आज स्थिति यह है कि कॉलोनी में सड़कें अधूरी हैं, गार्डन सिर्फ नक्शों में हैं, पानी की सप्लाई नियमित नहीं, और सुरक्षा नाम की कोई व्यवस्था नहीं। सैनिकों के परिवार कई बार प्रशासन से लेकर प्रदेश सरकार तक गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

एक सैनिक की पत्नी का दर्द – “हमें कहा गया था सैनिकों की कॉलोनी है, लेकिन अब ये नरक बन चुकी है”

कई फौजी परिवार, जिनके सदस्य बॉर्डर पर तैनात हैं, अब खुद अपने बच्चों के साथ नाली और कीचड़ के बीच जीवन बिता रहे हैं। कॉलोनी के निवासी लगातार शिकायत कर रहे हैं कि कॉलोनाइजर से न कोई संपर्क हो पा रहा है, न ही कोई जवाब मिल रहा है।

अब मांग – कॉलोनाइजर पर हो आपराधिक मामला दर्ज, प्लॉट की दोबारा जांच कराए प्रशासन

सैनिकों का साफ कहना है कि यह सिर्फ प्रॉपर्टी का नहीं, सम्मान और विश्वास का मामला है। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और गृह मंत्री अमित शाह से मांग की है कि कॉलोनाइज़र के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज हो। साथ ही बंधक प्लॉट और बैंक गारंटी की रिहाई की पूरी जांच की जाए। हालांकि अब इस पूरे मामले में इंदौर जिला प्रशासन किस तरह की कॉलोनी नाइजर पर कार्रवाई करता हुआ नजर आता है यह देखना होगा।

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