हेमंत शर्मा, इंदौर। BS6 Truck Software Crack: मध्य प्रदेश के इंदौर में ट्रक संचालकों की एक नई चाल सामने आई है, जहां BS6 इंजन वाले ट्रकों में सॉफ्टवेयर के जरिए छेड़छाड़ कर यूरिया की खपत को बंद किया जा रहा है। टाटा के BS6 इंजन वाले ट्रकों में 100 लीटर डीजल पर 8 लीटर यूरिया की खपत होती है, जो प्रदूषण कम करने में मदद करता है।

लेकिन कुछ ट्रक संचालक अपने फायदे के लिए सॉफ्टवेयर क्रैक करवा रहे हैं, जिससे यूरिया की खपत पूरी तरह बंद हो जाती है और ट्रक जहरीली गैसें छोड़ने लगते हैं। बाजार में महज 5 हजार रुपए में यह सॉफ्टवेयर मॉडिफिकेशन कराया जा रहा है। इसके बाद ट्रक के मीटर पर यूरिया का स्तर शून्य दिखता है, जबकि टैंक में यूरिया भरा रहता है। इस तरह ट्रक संचालक हर 100 लीटर डीजल पर लगभग 800-1000 रुपए की बचत कर रहे हैं।

अधिकारियों को नहीं जानकारी

इस गंभीर मामले की जानकारी न तो आरटीओ के पास है और न ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को। जब उनसे पूछा गया कि इस पर कार्रवाई कौन करेगा, तो वे स्पष्ट जवाब तक नहीं दे पाए।

सॉफ्टवेयर इंजीनियरों के पास डाटा मौजूद

इस गड़बड़ी का खुलासा तब हुआ जब एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने बताया कि ट्रक संचालक बड़ी संख्या में उनसे संपर्क कर रहे हैं और अब तक कई ट्रकों में यह सॉफ्टवेयर मॉडिफिकेशन किया जा चुका है। इंजीनियरों के पास उन ट्रकों की विस्तृत जानकारी है, जिनमें सॉफ्टवेयर से छेड़छाड़ की गई है। अब सवाल यह उठता है कि क्या आरटीओ और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस पर कोई सख्त कार्रवाई करेगा, या फिर यह गड़बड़ी यूं ही जारी रहेगी? और लगातार बिना यूरिया से चलने वाले वाहन प्रदूषण फैलाते रहेंगे।

क्या बोले ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष?

ऑल इंडिया ट्रक ऑपरेटर एस ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष CL मुकाती ने बताया कि नई गाड़ियों में यूरिया की खपत होती है। इसके साथ ही इसका रेट भी महंगा पहुंचता है तो हो सकता है कुछ ट्रक संचालक इसे बंद करते हों। जिस कंपनी ने सॉफ्टवेयर बनाया है, हो सकता है उसी कंपनी ने इसका क्रैक वर्जन भी दिया होगा। 

उन्होंने आगे कहा, “90% पुराने सड़कों पर दौड़ रहे ट्रक सबसे ज्यादा प्रदूषण करते हैं। ऐसे में इन वाहनों के अंदर भी यूरिया का सिस्टम लगाना चाहिए। जिससे एनवायरनमेंट में फैलने वाली जहरीली गैस कम हो सके। नई ट्रक में 60 लाख रुपए का इन्वेस्टमेंट होता है, जो BS6 इंजन के साथ आते हैं। इनका एवरेज भी काम होता है। अगर ढाई का एवरेज देने वाले वाहन महंगे मिलेंगे तो उसका भाड़ा भी महंगा होगा।”

 CL मुकाती ने कह कि ऐसे में वाहन संचालक गाड़ियां घर में  रहेगा और पुराने वाहनकम भाड़े में माल पहुंचा देंगे। ऐसे में 60 लख रुपए की लागत लगाकर चलने वाले ट्रक संचालक को नुकसान होता है तो हो सकता है कि यूरिया को बंद कर कर वह अपना नुकसान पूरा कर रहे हों। लेकिन यह पूरी तरह गलत है ऐसा नहीं करना चाहिए।

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