सदफ हामिद, भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की आर्या दुनिया की दुर्लभ बीमारियों में से एक स्पाइनल मस्क्युलर अट्रॉफी टाइप-1 (एसएमए) से पीड़ित है. जिसका इलाज अमेरिका से आने वाले जोल्गेन्स्मा इंजेक्शन से ही संभव है. जिसकी कीमत 16 करोड़ रुपए है. जिस पर 6 करोड़ रुपए का टैक्स भी अलग से लगता है. मासूम बच्ची के इजाल के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से और भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया से मदद की गुहार लगाई है. साथ ही परिजनों ने आम लोगों से भी मदद की मांग कर रहे हैं.

इजाल के लिए 16 करोड़ का इंजेक्शन

बता दें कि मासूम आर्या की उम्र 6 साल है. आर्या बचपन से ही अपने पैरों पर खड़े नहीं हो पाती. जब खड़े होने की कोशिश करती है तो मुंह के बल गिर जाती. मासूम बच्ची के पिता आबुधाबी में काम करते हैं. परिवार की माली हालत इतनी अच्छी नहीं कि 16 करोड़ रुपए देकर बच्ची का इलाज करा सके, इसलिए परिवार के सभी सदस्य मदद की गुहार लगा रहे हैं. आर्या के पिता राहुल पाठक सोशल मीडिया के जरिए क्राउड फंडिंग की कोशिश कर रहे हैं. वहीं मां आस्था पाठक को मुख्यमंत्री से भी मदद की आस है.

परिवार को सरकार से मदद की आस

आर्या जब अपने पैरों पर खड़े नहीं हो पाती थी, तबसे ही उसके माता-पिता ने इलाज कराना शुरू कर दिया था. पहले उसके माता पिता को लगा कि धीरे-धीरे चलने लगेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जिसके बाद माता-पिता आर्या को इलाज के लिए जबलपुर मेडिकल कॉलेज और दिल्ली के गंगाराम में लेकर पहुंचे. जहां जांच होने के बाद पता चला कि आर्या में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नामक दुर्लभ बीमारी है. जो कि दुनिया में कुछ ही बच्चों में निकलती है. कुछ साल तक उसका इलाज दिल्ली में ही चलता रहा, लेकिन अब बच्ची की जान बचाने के लिए जोल्गेन्स्मा इंजेक्शन हर हाल में जरूरी है. जो अमेरिका में मिलता है. इसलिए अब आर्या का परिवार राज्य सरकार से मदद की गुहार लगा रही है.

दुर्लभ बीमारी है स्पाइनल मस्क्युलर अट्रॉफी टाइप-1 (एसएमए)

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 एक दुर्लभ बीमारी है. जो बच्चे स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 से पीड़ित होते हैं, उनकी मांसपेशियां कमजोर होती हैं, शरीर में पानी की कमी होने लगती है और स्तनपान करने में और सांस लेने में दिक्कत होती है. इस बीमारी बच्चा पूरी तरह से निष्क्रिय सा हो जाता है. यह दुर्भल बिमारी 10 लाख में से किसी एक शख्स को होती है. इसका इलाज जीन नाम की थैरेपी से होता है. यह अब तक का सबसे महंगा इलाज माना जा सकता है. इस बीमारी से बच्चों की उम्र ज़्यादा नहीं होती है.