अजयारविंद नामदेव, शहडोल। ‘हिम्मत ए मर्दा मददे खुदा’, यानी जो लोग हिम्मत रखते हैं, उनकी सहायता भगवान खुद करता है। इस कहावत को मध्य प्रदेश के शहडोल जिले की धनपुरी नगरपालिका में पदस्थ पूजा बुनकर ने चरितार्थ कर दिखाया है। पूजा जन्मजात एक हाथ से विकलांग है। इसके बाद भी वे अपने हौसले ओर मेहनत से हर चुनौती का डट कर सामना कर रही। वो कैसे? आइए पढ़ते हैं महिला दिवस पर यह खास खबर।

आयकर विभाग का बड़ा एक्शन, त्रिशूल कंस्ट्रक्शन के संचालक राजेश शर्मा की 2.37 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी की अटैच 

धनपुरी नगर पालिका में मुख्य नगर पालिका अधिकारी के पद पर पदस्थ 38 साल की पूजा बुनकर की कहानी जिले की ही नहीं, बल्कि संभाग के विभिन्न प्रशासनिक पदों पर बैठी महिलाओं से बिल्कुल अलग है। दरअसल, बचपन से पूजा बुनकर दिव्यांग थी। लेकिन उनकी जिद ने उन्हें कभी हारने नहीं दिया। पीएससी की परीक्षा को पास कर प्रशासनिक पद के माध्यम से रामराज की परिकल्पना को साकार करना अपने आप में अनूठा है। पूजा की जिद ने उन्हें आज इस पद पर लाकर बैठा दिया है। वह टू व्हीलर से लेकर खाना बनाने में भी दक्ष हैं।

पूजा शहडोल संभाग की सबसे धनी नगर पालिका मानी जाने वाली धनपुरी की मुख्य नगर पालिका अधिकारी के रूप में काम कर रही हैं। वैसे पूजा जबलपुर के रहने वाली नगरीय निकाय विभाग के इस प्रशासनिक पद पर नियुक्ति से पहले महिला बाल विकास विभाग में भी पदस्थ थीं। वहां से इस्तीफा देकर उन्होंने पीएससी के माध्यम से मुख्य नगर पालिका अधिकारी का पद ग्रहण किया।]

गोली मारकर लूट का प्रयासः स्पोर्ट्स बाइक सवार नकाबपोश दो बदमाशों ने सराफा व्यापारी को मारी गोली

यह की पढ़ाई

बतादें कि, पूजा बुनकर पिता आर.एस. बुनकर श्रम विभाग में अधिकारी थे। वहीं उनकी माता ग्रहणी थी। उन्होंने जबलपुर से प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने के अलावा संस्कारधानी से ही विज्ञान में बैचलर की डिग्री के साथ साथ कला में स्नातकोत्तर और पीजीडीसीए, एलएलबी, एमएसडब्ल्यू के साथ तीन स्नातकोत्तर की डिग्रियां हासिल कर रखी हैं। 2014 के पीएससी परीक्षा में उन्हें सफलता मिली और 2018 में सबसे पहले जबलपुर की ही शाहपुर नगर परिसर में सीएमओ के पद पर आसीन हुई। अपनी जिद और धुन की पक्की पूजा बुनकर ने बीते 7 सालों में लगभग 7 से 8 निकायों में अपनी सेवाएं दी। सिद्धांतों से समझौता न करने की यही जिद एक से डेढ़ साल बाद उनके स्थानांतरण का कारण बनती रही। शाहपुरा के बाद कटनी, सिवनी, पाटन, दमोह और फिर कटनी के विजय राघवगढ़ आदि निकायों में उन्होंने अपनी सेवाएं दी।

International Women’s Day 2025: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर CM डॉ मोहन यादव ने दी बधाई, जानें क्या कहा?

जन्म से ही दिव्यांग रही पूजा बुनकर दो पहिया वाहन बड़ी बखूबी से चलती हैं। साथ ही रोटी से लेकर तरह-तरह के व्यंजन व बड़ी आसानी से बना लेती हैं। बचपन से ही एक हाथ न होने के कारण कार्य में आ रही बाधाओं और अन्य सवालों के जवाब में पूजा बनकर कहती है कि, उन्हें कभी भी इस तरह का कोई आभास नहीं हुआ कि उनका एक हाथ नहीं है। कभी भी काम में कोई दिक्कत नहीं आई। लेकिन जब कोई उनसे मिलता है और फिर उनकी दिव्यंगता के जिक्र करके उन पर दया भाव की बात करता है तो, उन्हें यह बात बिल्कुल अच्छी नहीं लगती। पूजा कहती है कि उन्होंने जिंदगी में जो चाहा था, उसे पा लिया, अब शेष जीवन इस पद के माध्यम से जनसेवा करना है।

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H