कुमार इंदर, जबलपुर. वैसे तो रेप केस में पीड़िता की पहचान गुप्त रखी जाती है, लेकिन यही व्यवहार आरोपी के साथ नहीं किया जाता. इसी मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने सरकार से पूछा कि दुष्कर्म पीड़िता की तरह दुष्कर्म के आरोपी का नाम क्यों नहीं छुपाया जाता है? कोर्ट ने इसका जवाब देने सरकार को 4 सप्ताह का समय दिया है. अगर सरकार तय समयसीमा के अंदर जवाब नहीं दे है, तो जुर्माना चुकाना पड़ सकता है.
दरअसल, पीजी नाजपांडे और एमए खान की ओर से दायर याचिका में दुष्कर्म के मामले पीड़िता के भांति आरोपी का नाम भी गुप्त रखने की मांग की गई है. उनका आरोप है कि दुष्कर्म मामले में सिर्फ आरोपी का नाम उजागर करना लैंगिक भेदभाव है. याचिकाकर्ता का कहना है कि कानून के अनुसार जब तक आरोपी पर आरोप साबित नहीं होते, तब तक उनका नाम उजागर नहीं किया जा सकता.
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उन्होंने यह भी बताया कि ऐसा करने से आरोपी की सार्वजनिक छवि खराब होती है. याचिका में विभिन्न उदाहरण दिए गए हैं, जैसे कि फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर का, जहां वे आरोपी के रूप में नामित हुए थे, लेकिन बाद में बरी हो गए. याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि कई मामलों में आरोपी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है, भले ही उन्हें बाद में निर्दोष पाया गया हो.
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