कुमार इंदर, जबलपुर. गुरुवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर खंडपीठ ने ओबीसी आरक्षण में 87% और 13% के फार्मूले पर सुनवाई की. इस मामले में हाईकोर्ट ने पूछा कि महाधिवक्ता ने क्यों कानून के खिलाफ 87-13 के फार्मूले का अभिमत दिया.

हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता से यह सवाल किया कि 13% ओबीसी पदों को क्यों होल्ड किया गया है और इस मामले में सीधा जवाब क्यों नहीं मिल पा रहा. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश (दिनांक 24 फरवरी 2025) को ध्यान में रखते हुए यह पूछा कि क्या उन 13% पदों को अनहोल्ड नहीं किया जाए, जिनके बारे में याचिका का निर्णय अधर में है.

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महाधिवक्ता ने अंतरिम आदेश (दिनांक 4 मई 2022) का हवाला दिया, जिसमें 27% आरक्षण का कोई कानून नहीं था और स्टे भी था. लेकिन कोर्ट ने यह टिप्पणी की कि सरकार अपने कानून को लागू क्यों नहीं करना चाहती है. इसके अलावा हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि जिस याचिका के तहत पद होल्ड किए गए थे, वह याचिका यदि खारिज हो जाती है, तो फिर 13% पदों को अनहोल्ड क्यों नहीं किया गया.

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हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद ओबीसी के 13% पद रिक्त रखे जाएं. इससे यह सवाल खड़ा हुआ कि अगर कोर्ट ने 13% पदों को होल्ड करने का आदेश नहीं दिया, तो सरकार किस आदेश के तहत ओबीसी के 13% पद होल्ड कर रही है.

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