नीलेश भानपुरिया, झाबुआ. आदिवासी अंचल झाबुआ में शिक्षा विभाग के हाल बेहाल हैं. जहां प्रशासन के जिम्मेदारों ने जर्जर पुराने भवन तो गिरा दिए. लेकिन अब नए भवन स्वीकृत नहीं हो रहे हैं. वहीं एक स्कूल की हालत जर्जर है. बारिश के दिनों में बच्चे बाहर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. ऐसे में बच्चों ने कलेक्टर से स्कूल बनवाने की गुहार लगाई है.

यह मामला लोहारिया गांव स्थित प्राइमरी स्कूल का है. जहां पहली से लेकर 5वीं तक करीब 120 बच्चे पढ़ते है. स्कूलों की छत इतनी जर्जर है कि किसी भी समय गिरने के कगार पर है. ऐसे में बच्चे आसमान के नीचे बरसात में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. एक वीडियो सामने आया है. जिसमें बच्चे स्कूल के बाहर पढ़ते दिखाई दे रहे हैं. लेकिन जब बारिश होने लगी तो बच्चे अपना बस्ता लेकर छज्जे के नीचे छुपते नजर आ रहे हैं.

कहीं हमारे बच्चे हादसे का शिकार न हो जाए- अभिभावक

इस मामले में शिक्षक कालूसिंह भाबर ने बताया कि हमने लिखित में बड़े अधिकारी को कई बार अवगत करवाया है. लेकिन आज तक बच्चों को दूसरी जगह बैठाने की व्यवस्था नहीं की गई है. वहीं अभिभावकों का कहना है कि हमें डर रहता है कहीं हमारे बच्चे हादसे का शिकार न हो जाए. स्कूल पूरी जर्जर हो चुकी हैं. बच्चे बाहर बैठकर पढ़ाई करते हैं. कभी बरसात, तो कभी ठंड, कभी धूप आती है. ऐसे में हमारे बच्चे कैसे पढ़ाई कर पाएंगे.

बच्चे से कलेक्टर से लगाई गुहार

स्कूल के एक बच्चे ने कलेक्टर से गुहार लगाते हुए कहा कि कलेक्टर मैडम हमारी स्कूल बनवा दीजिए. इस स्कूल में कभी हादसा हुआ तो हमारी जान भी जा सकती है. इस मासूम की अपील को सुनकर शायद जिम्मेदार एक्शन लें. मामला सामने आने के बाद जिम्मेदारों के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे है और सवाल खड़ा होना लाजमी भी है.

आखिर जिम्मेदार कौन?

क्योंकि जिम्मेदार तो अपने एसी वाले केबिन में बैठे हुए हैं. अगर वो एयर कंडीशनर चैंबर बाहर नहीं निकलते, तभी न उन्होंने हालात मासूम पड़ते। अब देखना होगा कि इस मामले में आखिर कब तक एक्शन लिया जाता है? या फिर ऐसे ही नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जाात रहेगा?

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