नीलेश भानपुरिया, झाबुआ। मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकायुक्त की बड़ी कार्रवाई ने सरकारी महकमे में हड़कंप मचा दिया है। महानिदेशक लोकायुक्त योगेश देशमुख के सख्त निर्देश पर इंदौर लोकायुक्त इकाई की टीम ने गुरुवार को जिला आपूर्ति अधिकारी कार्यालय में छापा मारकर प्रभारी जिला आपूर्ति अधिकारी आशीष आजाद और सहायक सेल्समैन जितेंद्र नायक को 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों दबोच लिया। यह कार्रवाई भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत की गई है, और दोनों आरोपी अब हिरासत में हैं।
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एक लाख रुपये की मांगी घूस
जानकारी के मुताबिक, यह मामला ग्राम नेगड़िया, पोस्ट अंतरवेलिया, तहसील झाबुआ के निवासी मनोज ताहेड़ से जुड़ा है। मनोज शासकीय उचित मूल्य की दुकान (राशन दुकान) में सेल्समैन के रूप में कार्यरत थे। 19 सितंबर 2025 को प्रभारी जिला आपूर्ति अधिकारी आशीष आजाद ने बिना किसी पूर्व सूचना के मनोज की दुकान के संचालन को निलंबित कर दिया और इसे किसी अन्य स्वयं सहायता समूह की दुकान से संलग्न कर दिया। इससे मनोज का परिवार आर्थिक संकट में फंस गया। परेशान होकर मनोज उसी दिन कलेक्टर कार्यालय स्थित खाद्य विभाग पहुंचे। वहां सहायक सेल्समैन जितेंद्र नायक ने उनसे दुकान का निलंबन हटाने और कोई एफआईआर दर्ज न करने की एवज में जिला आपूर्ति अधिकारी को “खर्चा-पानी” देने के लिए रिश्वत की मांग की। नायक ने मनोज को कुल 1 लाख रुपये की रिश्वत का भुगतान करने को कहा, जिसमें से 50 हजार रुपये पहली किस्त के रूप में चुकाने का दबाव बनाया।
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लोकायुक्त की त्वरित कार्रवाई
रिश्वत की मांग से तंग आकर मनोज ने 21 सितंबर 2025 को इंदौर लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक राजेश सहाय को शिकायती आवेदन सौंपा। शिकायत की सत्यापन प्रक्रिया में रिश्वत की मांग सही पाई गई। इसके बाद 25 सितंबर को लोकायुक्त की टीम ने ट्रैप कार्रवाई की योजना बनाई। फर्जी नोटों के साथ 50 हजार रुपये की राशि मनोज को आरोपियों से मिलने के लिए भेजा गया। दोपहर के समय जिला आपूर्ति अधिकारी कार्यालय में जैसे ही आशीष आजाद और जितेंद्र नायक ने रिश्वत की पहली किस्त स्वीकार की, लोकायुक्त का ट्रैप दल दबिश देकर दोनों को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। कार्रवाई के दौरान आरोपी आशीष आजाद ने रिश्वत राशि को अपनी टेबल के ड्रॉअर में छिपाने का प्रयास किया, जबकि जितेंद्र नायक ने पैसे को जेब में ठूंस लिया था। दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है।
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