शशांक द्विवेदी, खजुराहो। अक्सर देखा गया है कि भारत की संस्कृति इतनी प्रभावशाली है, ख़ासकर विदेशी पर्यटक यहां आकर यहीं की संस्कृति में घुल-मिल जाते हैं। वहीं सनातन संस्कृति का प्रभाव देखना हो, तो हाल ही में हुए प्रयागराज महाकुंभ में देखने को मिली। जहां हजारों की संख्या में विदेशी पर्यटक लगभग एक महीने तक प्रयागराज में ही रहे और सनातन संस्कृति को जाना, माना और स्वीकार भी किया। ऐसा ही कुछ खजुराहो में भी देखने को मिला।
रूस से 17 विदेशी पर्यटकों का दल पहुंचा खजुराहो
दरअसल रूस से खजुराहो घूमने आए 17 विदेशी पर्यटकों का दल जिसमें 15 महिलाएं और 2 पुरुष शामिल है, जिन्होंने एक निजी होटल से कलश यात्रा निकाली। जिसमें एक पुरुष ने ध्वज हाथ में थामा हुआ था, वहीं दूसरे पुरुष ने सिर पर कलश रखकर ढ़ोल नगाड़े के साथ खजुराहो के बगराजन माता मंदिर पहुंचे। यहां विदेशी पर्यटकों ने मंदिर में स्थापित देवी देवताओं का अभिषेक किया। वहीं राधे कृष्णा के नाम का संकीर्तन भी किया। युद्ध के ढेर पर खड़ी दुनिया में शांति के लिए विदेशी पर्यटकों ने मंदिर के पुजारी के साथ मिलकर हवन पूजन भी किया।
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मंदिर के पुजारी श्रीराम रिछारिया ने बताया कि भारतीय संस्कृति और परंपरा से प्रभावित होकर विदेशी पर्यटक यहां पहुंचे। उन्होंने माता श्री के चरणों का पूजन कर अभिषेक किया। इसके बाद हवन कर प्रसाद भी ग्रहण किया। साथ ही उन्होंने दुनिया के सुख शांति की कामना की।
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