अजयारविंद/न्यामुदीन अली, शहडोल/अनूपपुर। लल्लूराम की खबर का एक बार फिर बड़ा असर (Lalluram impact) हुआ है। अनूपपुर जिला जेल में पदस्थ प्रधान आरक्षक प्रहरी द्वारा कैदी के परिजनों से जेलर के नाम पर पैसा वसूलने की खबर को लल्लूराम ने पूरी प्रमाणिकता और प्रमुखता के साथ चलाया था। खबर प्रकाशन के बाद जेल अधीक्षक केंद्रीय जेल रीवा ने घूसखोर प्रधान आरक्षक प्रहरी मुकेश ठाकुर को निलंबित करते हुए मुख्यालय सब जेल त्यौंथर का रास्ता दिखा दिया है। गौरतलब है कि प्रधान आरक्षक को निलंबित कर जेलर ने स्वयं को पाक-साफ साबित करने की कोशिश की है। सवाल यह उठता है कि क्या प्रधान आरक्षक की इतनी हिम्मत हो सकती थी कि वह जेलर की शह के बिना जेल में खुलेआम उनके नाम पर अवैध वसूली कर सके ?

यह था मामला
अनूपपुर जिला जेल में बंद कैदी से मिलने आए परिजनों से अवैध वसूली का मामला उजागर हुआ था। प्रहरी मुकेश ने जेल में बंदी की पत्नी और उसके परिजनों से वीआईपी कैदी से मुलाकात कराने के एवज में 2200 रुपये की मांग की थी। पैसा लेनदेन का वीडियो वायरल हो गया था। वीडियो में प्रहरी यह कहते नजर आ रहा है कि वह 2000 रुपये जेलर के लिए और 200 रुपये अपने लिए ले रहा हूं।

क्या बिना जेलर की जानकारी के जेल में रिश्वतखोरी संभव

अब सवाल यह उठता है कि क्या बिना जेलर की जानकारी के जेल में रिश्वतखोरी संभव थी? क्या प्रधान आरक्षक अकेले इस गोरखधंधे को चला रहा था? क्या अब जेल के भीतर फैले इस भ्रष्टचार का सच बाहर आएगा? अब पूरा जिला यह जानना चाहता है कि क्या प्रशासन इस पूरे भ्रष्टाचार के जाल को उधेड़ पाता है या फिर एक प्रधान आरक्षक की बलि देकर पूरा मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। जिला जेलर इंद्रदेव तिवारी ने बताया कि जेल परिसर में पैसा लेने वाले प्रहरी मुकेश सिंह ठाकुर को सस्पेंड कर मुख्यालय सब जेल त्यौंथर भेज दिया है।

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