सुशील खरे, रतलाम। रतलाम जिले में 61 वर्षों से अपनी करोड़ों की जमीन होते हुए भी गरीबी की जिंदगी जी रहे एक आदिवासी परिवार के लिए आज का दिन जिंदगी की राह बदलने वाला साबित हो गया. वह कलेक्टर के पास आया तो था इस उम्मीद से की उसकी जमीन पर कब्जा करने वाले रसूखदारों से कुछ राशि ही दिला दो, लेकिन कलेक्टर ने तो उसकी किस्मत ही बदल दी. कलेक्टर ने राशि के बजाय उसको उसकी जमीन दिलाकर उसे करोड़पति बना दिया. जिसके लिए कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर प्रोत्साहित भी किया.

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मामला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर ग्राम सांवलियारुंडी का है. जहां गांव में रहने वाले आदिवासी मंगला, थावरा और नानूराम भावर के अनपढ़ गरीब पिता को 1961 में किसी व्यक्ति ने बरगला कर ओने-पौने दामों में जमीन हथिया ली थी. लगभग 16 बीघा जमीन खो देने के बाद यह आदिवासी परिवार मजदूरी करके 60 सालों से अपना गुजर-बसर जैसे-तैसे कर रहा था. इसी दौरान थावरा और उसके भाइयों ने अपनी भूमि वापस लेने के लिए बहुत कोशिश की, लेकिन वह नाकाम हो गए. काफी कोशिशों के बाद 1987 में तत्कालीन एसडीएम द्वारा पारित आदेश को वर्ष 1961 के विक्रय पत्र को शून्य घोषित किया गया. साथ ही भूमि का कब्जा आदिवासियों को दिए जाने का आदेश जारी हुआ.

आदेश के बावजूद भी पीड़ितों के नाम राजस्व रिकार्ड में दर्ज नहीं किया गया और न ही प्रशासन ने कब्जा दिलाया. आदेश के खिलाफ रसूखदारों ने कई न्यायालयों एवं फोरम पर अपील की जाती रही. जहां समय के अंतराल में जमीन अन्य व्यक्तियों द्वारा एक से दूसरे को बेचने का क्रम भी जारी रहा.

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पीड़ित परिवारों के पक्ष में फैसला आने के बाद भी भूमि का कब्जा नहीं मिलने पर बीते हफ्ते थावरा ने कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम को आवेदन दिया. जहां कलेक्टर ने संवेदनशीलता के साथ तत्काल एसडीएम को एक सप्ताह में आदिवासी के नाम उसकी भूमि के दस्तावेज तैयार करने और कब्जा दिलाने के निर्देश दिए.

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कलेक्टर के आदेश के बाद राजस्व विभाग ने रिकॉर्ड का अध्ययन करके दस्तावेज तैयार किए. जिसके बाद थावरा और उसके भाइयों के नाम से पावती और खसरा तैयार किया गया. जहां 8 जुलाई को थावरा अपने परिवार के साथ कलेक्ट्रेट आया और कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम के हाथों से अपनी भूमि की पावती और खसरा नकल प्राप्त की. जिससे अब आदिवासी परिवारों की खोई हुई खुशी वापस लौट आई.

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मामले में पीड़ित थावरा ने कहा कि वर्षों बीत गए लड़ते-लड़ते, अपनी बाप-दादा की भूमि वापस लेने के लिए, लेकिन अब वह समय आया जब हमारी भूमि हमें वापस मिल गई. थावरा ने कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया. जहां कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने बताया कि एसडीएम को आदेशित किया गया है कि आदिवासी थावरा और उसके भाइयों की भूमि पर यदि किसी अन्य व्यक्ति द्वारा कोई हस्तक्षेप पुन किया जाता है तो एट्रोसिटी के तहत प्रकरण दर्ज किया जाए.

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