राकेश चतुर्वेदी, भोपाल।  हाल के वर्षों में लिफ्ट और एस्केलेटर हादसों ने कई जिंदगियां लील ली हैं। अब राज्य सरकार इस खतरे को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने जा रही है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग लिफ्ट संबंधी एक नया बिल ड्राफ्ट कर रहा है। मध्य प्रदेश में तेजी से बढ़ते शहरीकरण के साथ हाई-राइज बिल्डिंग्स की संख्या बढ़ रही है, लेकिन लिफ्ट और एस्केलेटर के रखरखाव की कमी से हादसे आम हो गए हैं। अब नगरीय विकास एवं आवास विभाग इस समस्या का स्थायी समाधान लाने जा रहा है। 

बिना पंजीकरण के कोई लिफ्ट संचालित नहीं हो सकेगी

विभाग द्वारा तैयार किया जा रहा लिफ्ट बिल ड्राफ्ट में लिफ्ट लगाने की अनुमति से लेकर नियमित निगरानी, मेंटेनेंस और इंस्पेक्शन की पूरी व्यवस्था तय की जाएगी। इस कानून के तहत हर नई और पुरानी लिफ्ट तथा एस्केलेटर का पंजीकरण अनिवार्य होगा। बिना पंजीकरण के कोई लिफ्ट संचालित नहीं हो सकेगी। कानून में एक ऑर्गेनाइज्ड सिस्टम होगा, जिसमें अफसरों की अधिकृत नियुक्ति होगी। ये अफसर समय-समय पर इंस्पेक्शन करेंगे और मेंटेनेंस की रिपोर्ट चेक करेंगे। 

ऑनलाइन निगरानी की होगी व्यवस्था

सबसे खास बात, ऑनलाइन निगरानी की व्यवस्था होगी, जिससे लिफ्ट की स्थिति रीयल-टाइम में ट्रैक की जा सकेगी। इससे हादसों को पहले ही रोका जा सकेगा। यह बिल अक्टूबर माह में राज्य कैबिनेट में पेश किया जा सकता है। बता दें कि 2019 में मध्य प्रदेश विधि आयोग ने सरकार को लिफ्ट और एस्केलेटर के प्रबंधन के लिए अलग अधिनियम बनाने की सिफारिश की थी, जो अब साकार हो रही है। 

हादसों ने सरकार को जगाया

फिलहाल मध्य प्रदेश में लिफ्ट और एस्केलेटर के प्रबंधन के लिए कोई स्पेसिफिक अधिनियम नहीं है। नगर पालिका कॉर्पोरेशन और कॉलोनी विकास निगम में लिफ्ट संबंधी कुछ प्रावधान हैं, लेकिन वे अपर्याप्त साबित हो रहे हैं। हाल के हादसों ने सरकार को जगाया है। 

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