अजय नीमा, उज्जैन। धार्मिक नगरी उज्जैन में राजा विक्रमादित्य के समय शुरू हुई परंपरा जिला प्रशासन आज भी उसी तरह निभा रहा है. मान्यता है कि महामाया और देवी महालाया मंदिरों में माता को मदिरा का भोग लगाने से शहर में महामारी के प्रकोप से बचा जा सकता है. लगभग 27 किमी लम्बी इस महापूजा में 40 मंदिरों में मदिरा चढ़ाई जाती है. शुक्रवार सुबह महाअष्टमी पर माता महामाया और देवी महालाया को विधि विधान से पूजा कर मदिरा का भोग लगाया गया. यह परंपरा राजा विक्रमादित्य के समय से ही चली आ रही है. ऐसा बताया जाता है.
मान्यता है कि शहर में कोई भी आपदा या बीमारी के संकट को दूर करने के लिए व सुख, समृद्धि के लिए मदिरा का भोग लगाया जाता है. कलेक्टर नीरज सिंह ने यह परंपरा निभाई. इस यात्रा की खास बात यह होती है कि एक घड़े में मदिरा को भरा जाता है जिसमें नीचे छेद होता है. पूरी यात्रा के दौरान इसमें से शराब की धार बहती है जो टूटती नहीं है.
हांड़ी फोड भैरव मंदिर पर समापन
चौबीस खंभा माता मंदिर से नगर पूजा की शुरुआत होगी. इसके बाद शासकीय दल अनेक देवी व भैरव मंदिरों में पूजा करते हुए चलेंगे. नगर पूजा में 12 से 14 घंटे का समय लगेगा. रात करीब नौ बजे गढ़कालिका क्षेत्र स्थित हांडी फोड़ भैरव मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ नगर पूजा संपन्न होगी.
भक्तों में बंटता है शराब का प्रसाद
पूजन खत्म होने के बाद माता मंदिर में चढ़ाई गयी शराब को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में बांट दिया जाता है. इसमें बड़ी संख्या श्रद्धालु प्रसाद लेने आते है. उज्जैन नगर में प्रवेश का प्राचीन द्वार है. नगर रक्षा के लिये यहां चौबीस खंबे लगे हुए थे. इसलिये इसे चौबीस खंभा द्वार कहते हैं. यहां महाअष्टमी पर सरकारी तौर पर पूजा होती है और फिर उसके बाद पैदल नगर पूजा इसलिये की जाती है ताकि देवी मां नगर की रक्षा कर सकें और महामारी से बचाएं.
Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक