यत्नेश सेन, देपालपुर (इंदौर) शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है, और माता के भक्तों में उमंग और उत्साह चरम पर है। देश भर में माता के अनेक मंदिर हैं, लेकिन मालवा के देपालपुर में स्थित अतिप्राचीन मां महिषासुर मर्दिनी देवी माता मंदिर अपनी चमत्कारी शक्ति और अनूठी विशेषताओं के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि संतान सुख देने वाली माता के रूप में भी जाना जाता है। खास बात यह है कि माता दिन में तीन बार रूप बदलती हैं, जो भक्तों के लिए एक अनूठा अनुभव है।

राजा भोजपाल ने करवाया था मंदिर का निर्माण  

देपालपुर का यह अतिप्राचीन महिषासुर मर्दिनी माता मंदिर मध्य प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। मंदिर के पुजारी शंकर पूरी गोस्वामी के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण राजा भोजपाल ने करवाया था। किवदंतियों के अनुसार, माता को नवरात्रि की नवमी तिथि पर प्याला, यानी मदिरा पान, भी कराया जाता है। एक रोचक कहानी यह भी है कि सैकड़ों वर्ष पूर्व एक तत्कालीन तहसीलदार ने माता के चमत्कार को झूठा माना और मंदिर की जगह की खुदाई करने का निर्णय लिया। लेकिन माता ने उन्हें स्वप्न में दर्शन देकर अपनी शक्ति का एहसास कराया। इसके बाद उसी तहसीलदार ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया। तभी से यह मंदिर भक्तों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। नवरात्रि के दौरान यहां का माहौल और भी दिव्य हो जाता है, जब दूर-दूर से भक्त माता के दर्शन के लिए उमड़ते हैं। 

संतान सुख देने वाली माता के रूप में है प्रसिद्ध

संतान सुख देने वाली माता के रूप में प्रसिद्ध देपालपुर की महिषासुर मर्दिनी माता का यह मंदिर उन दंपतियों के लिए विशेष महत्व रखता है, जिन्हें संतान प्राप्ति की कामना है। भक्तों का मानना है कि माता की कृपा से उनकी गोद भर जाती है। संतान प्राप्ति के बाद भक्त पुनः मंदिर में आकर पूजन और आभार प्रकट करते हैं।

दिन में तीन रूप बदलने वाली माता 

यह मंदिर अपनी एक और विशेषता के लिए जाना जाता है। यहां माता की मूर्ति दिन में तीन बार रूप बदलती है। सुबह बाल्यावस्था, दोपहर में किशोरावस्था और रात में वृद्धावस्था में माता भक्तों को दर्शन देती हैं। इस चमत्कार को देखने के लिए सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ती है। रात में युवतियां पारंपरिक गरबा नृत्य के माध्यम से माता की आराधना करती हैं, जो इस मंदिर की एक और खासियत है।  

गोबर से बनाए जाते हैं स्वास्तिक

मंदिर में मन्नत मांगने की एक अनूठी परंपरा है। महिलाएं मंदिर के पीछे गोबर से उल्टे स्वास्तिक बनाकर मन्नत मांगती हैं। मन्नत पूरी होने पर वे पुनः मंदिर आकर उन उल्टे स्वास्तिक को सीधा करती हैं। विशेष रूप से लोग अपने छोटे बच्चों को माता के सामने लाते हैं और उनका मत्था टिकवाते हैं, ताकि माता का आशीर्वाद प्राप्त हो।  

नवरात्रि में विशेष आयोजन

नवरात्रि शुरू होते ही मंदिर में भक्तों का उत्साह दोगुना हो जाता है। पूरे नौ दिनों तक यज्ञ, अनुष्ठान और कुमकुम पूजन जैसे विशेष आयोजन होते हैं, जिनमें सैकड़ों श्रद्धालु भाग लेते हैं। खास तौर पर महिलाओं के लिए कुमकुम पूजन का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जिसमें घर-परिवार की सुख-शांति और विश्व शांति की कामना की जाती है। देपालपुर का यह महिषासुर मर्दिनी माता मंदिर न केवल आस्था और चमत्कार का प्रतीक है, बल्कि भक्तों के लिए एक ऐसा स्थान है, जहां उनकी हर मनोकामना पूरी होती है।

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