तनवीर खान, मैहर। केंद्र सरकार की धारणा अधिकार योजना, जिसका उद्देश्य नुज़ूल और सरकारी जमीन पर बरसों से रह रहे लोगों को उनके घर और जमीन का पक्का पट्टा प्रदान करना है, गंभीर प्रशासनिक खामियों और तकनीकी समस्याओं के कारण रुकी हुई है। इस योजना के तहत हितग्राहियों को अपने दस्तावेज लोक सेवा केंद्र में जमा करने होते हैं, जिसके बाद पटवारी सत्यापन कर दस्तावेज नुज़ूल कार्यालय और फिर कलेक्टर कार्यालय भेजता है। अंत में, हितग्राही को सरकारी खजाने में निर्धारित राशि जमा कर पट्टा प्राप्त करना होता है, जिससे सरकारी राजस्व में भी वृद्धि होती है।

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लेकिन मध्य प्रदेश के मैहर जिले में सरकार की यह योजना हवा में लटकती दिखाई दे रही है।  डेढ़ साल से लोगों की फाइलें कलेक्टर भवन में धूल खा रही है। योजना से लाभान्वित होने वाले हितग्राही टकटकी लगाए बैठे है कब उन्हें जिस घर में रहा रहे है उनका पट्टा मिलेगा

योजना से सरकारी राजस्व में होगा इजाफा

योजना के तहत हितग्राही को घर व जमीन से संबंधित दस्तावेज लोक सेवा केंद्र में जमा करने होंगे। जिसके बाद पटवारी घर व मकान का सत्य करने के बाद दस्तावेज नुज़ूल ऑफिस ने जमा करेंगे उसके बाद वह दस्तावेजों की फाइल कलेक्टर के पास जाएगी वहां से फाइल में साइन होने के बाद हितग्राही को सरकारी खजाने में मुस्त रकम जमा करनी होगी यानी सरकार को राजस्व में इजाफा होगा जिसके बाद हितग्राही को पट्टा दिया जाएगा

पोर्टल में गड़बड़ी, सरकार का सपना कैसे होगा साकार

जिला कलेक्टर भवन में धारणा अधिकार योजना का जिम्मा कलेक्टर के हाथ है। कलेक्टर ने अपना पल्ला झाड़ते हुए जवाब दिया दे दिया कि नया जिला बना है, जिससे पोर्टल में गड़बड़ी है  हमने इस संबंध में कमिश्नर को कई पत्र लिखा है। 

 नहीं हुआ सुधार

मैहर को जिला बने 2 साल होने को है, लेकिन पोर्टल में गड़बड़ी थी तो अभी तक सुधार क्यों नहीं कराया गया?  इसका जवाबदेही किसकी होगी? कार्रवाई किस पर होगी और कौन करेगा ?  

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