तनवीर खान, मैहर. मध्य प्रदेश के मैहर जिले में आदिवासियों ने जमीन अधिग्रहण के विरोध में कलश यात्रा निकाली. उन्होंने कलश में अपनी जमीन की मिट्टी भरकर कलेक्ट्रेट पहुंचे. जहां उन्होंने अपर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए जमीन वापस दिलाने की मांग की.

बुधवार को सहिलरा गांव के आदिवासी समुदाय के लोगों ने अपनी पैतृक भूमि से बेदखली के विरोध में गांव से कलेक्ट्रेट तक कलश यात्रा निकाली. आदिवासी प्रतिनिधियों ने स्पष्ट कहा कि वे भारत के मूल निवासी हैं. जिन्होंने सदियों से वन, जल, जमीन के साथ संतुलन बनाकर जीवन जिया है. अब उन्हें उन्हीं की भूमि से उजाड़ना न केवल अमानवीय है, बल्कि संविधान के भाग IX और अनुच्छेद 244 (पांचवीं अनुसूची) का सीधा उल्लंघन है.

ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष ने अपर कलेक्टर कही ये बातें

ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष प्रभात द्विवेदी ने ज्ञापन लेने आए अपर कलेक्टर शैलेंद्र सिंह से कहा कि इन आदिवासियों ने वंशानुगत तिनका-तिनका जोड़कर बंजर भूमि को खेती योग्य बनाया है. इसी से हमारे बच्चे पेट भरते हैं. हम जिंदा हैं. लेकिन आज हमें बताया जा रहा है कि इस भूमि पर कॉलोनी प्रोजेक्ट बनेगा और हमें उजाड़ा जाएगा. हमारे पास दिग्विजय सिंह सरकार के दिए गए पट्टे और ऋण पुस्तिकाएं हैं, जो इस जमीन पर वैधानिक अधिकार को सिद्ध करते हैं.

यह प्रदर्शन विरोध नहीं, चेतावनी है

प्रदर्शनकारियों ने ज्ञापन सौंपते हुए आग्रह किया कि हम बेसहारा, बेबस आदिवासी हैं. हमारी जमीन छिनी गई, तो सिर्फ आशियाना नहीं जाएगा. हमारी पहचान, हमारी संस्कृति और हमारे पूर्वजों की स्मृतियां भी समाप्त हो जाएंगी. यह प्रदर्शन केवल विरोध नहीं, चेतावनी है.

चुप नहीं बैठेगा आदिवासी समाज

इस शांत, लेकिन प्रभावशाली प्रदर्शन ने यह साबित किया कि आदिवासी समाज अब चुप नहीं बैठेगा. वे संविधान, इतिहास और अपने आत्म-संस्कारों से सशस्त्र होकर न्याय की मांग कर रहे हैं. माटी का न्याय अदालतों से नहीं, संवेदनशीलता से मिलेगा और यही संदेश सहिलारा के लोगों ने आज समूचे समाज को दिया.

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