अभय मिश्रा, मऊगंज। मध्य प्रदेश के मऊगंज जिले से एक बेहद चिंताजनक तस्वीर सामने आई है, जहां आदिवासी बच्चों की जिंदगी, शिक्षा और भविष्य तीनों एक साथ खतरे में हैं। जिला मुख्यालय से कुछ किलोमीटर दूर सरदमन गांव की शासकीय प्राथमिक शाला, जहां मासूम बच्चे पढ़ने आते हैं। लेकिन ये स्कूल किसी भवन में नहीं, बल्कि 100 फीट गहरी अवैध खदान के बिल्कुल किनारे मौजूद है। जिस खदान की दूरी स्कूल से महज़ 25 फीट है, उसमें आए दिन तेज़ ब्लास्टिंग होती है। पत्थर उड़कर स्कूल की दरकी दीवारों से टकराते हैं, और बच्चों की जान पर बन आती है। यह खदान न तो वैध है, न ही सुरक्षित, न सुरक्षा घेरा है, न कोई चेतावनी बोर्ड। स्कूल के प्रधानाध्यापक और रसोइया बताते हैं कि जैसे ही ब्लास्टिंग होती है, उन्हें बच्चों को लेकर स्कूल छोड़कर भागना पड़ता है।
अवैध खनन का सिलसिला लगातार जारी
आपको बता दें कि स्थानीय विधायक प्रदीप पटेल लोगों की समस्याओं को सुनने के लिए इस ग्राम पंचायत में एक रात रुके ,खुद मौके पर पहुंचे, निर्देश भी दिए, लेकिन ज़मीन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अवैध खनन का यह सिलसिला अब भी बदस्तूर जारी है। अब सवाल उठता है कि क्या आदिवासी बच्चों की जिंदगी इतनी सस्ती है कि उसे माफिया के मुनाफे पर दांव पर लगा दिया जाए? क्या प्रशासन किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है?
विस्फोट से कांप उठते हैं बच्चे
यह खदान किसी वैध लीज के तहत नहीं, बल्कि एक छोड़ी हुई अवैध खदान है, जो 10 एकड़ क्षेत्र में फैली है। इसमें नियमों को ताक पर रखकर आए दिन विस्फोट होते हैं। स्कूल महज़ 25 कदम की दूरी पर है, जिससे हर विस्फोट के साथ बच्चे कांप उठते हैं। प्रधानाध्यापक बताते हैं कि ब्लास्टिंग के वक्त वे बच्चों को लेकर भागते हैं, क्योंकि स्कूल की दीवारें तक दरक चुकी हैं।
आपको बता दे कि माइनिंग एंड मिनरल्स कानून के मुताबिक, किसी भी शैक्षणिक संस्था से 300 मीटर के भीतर खनन प्रतिबंधित है। लेकिन यहां न सुरक्षा घेरा है, न प्रशासन को सूचना दी जाती है, और न ही कोई लाइसेंस। माइन क्लोजर के नियमों के अनुसार, खदान को भरकर समतल करना अनिवार्य होता है। इसके लिए कंपनियों से सिक्योरिटी मनी भी ली जाती है। लेकिन सरदमन की इस खदान में न तो री-क्लेमेशन हुआ और न ही कोई भराई।
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स्थानीय लोगों का कहना है कि इलाके में कई ऐसी ही खदानें हैं, जिनमें से कुछ 150 फीट से ज्यादा गहरी हैं। पशु आए दिन गिरकर मरते हैं, और एक महिला की जान भी जा चुकी है। ग्रामीणों ने प्रशासन से कई बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उनका आरोप है कि खनन माफिया और प्रशासन की मिलीभगत से यह अवैध उत्खनन निर्भयता से जारी है।
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