अभय मिश्रा, मऊगंज। जिले में अचानक हुई भारी बारिश ने किसानों की उम्मीदों को मिट्टी में मिला दिया है। जिस फसल को किसान ने कर्ज लेकर, दिन-रात की मेहनत से तैयार किया था, वो अब पानी में डूबकर सड़ रही है। नईगढ़ी तहसील के मिसिरा कोठार गांव के किसान का दर्द अब पूरे जिले की आवाज बन चुका है। 

साढ़े 4 एकड़ धान बर्बाद

बीते तीन दिनों से रुक-रुक कर हो रही बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है। पूरे जिले की फसलें चौपट हो चुकी है वही नईगढ़ी तहसील के मिसिरा कोठार गांवनिवासी किसान रामनिरंजन पांडे की करीब साढ़े चार एकड़ धान की फसल इस बारिश से पूरी तरह बर्बाद हो गई। कटाई शुरू ही हुई ही थी कि आसमान से बरसे पानी ने खेतों को तालाब में बदल दिया। 

फसल देख रो पड़ा किसान

अपनी डूबी हुई फसल को देखते हुए किसान रामनिरंजन पांडे खेत में बैठकर फूट-फूटकर रो पड़ा। रोते हुए उसने वीडियो के माध्यम से कलेक्टर, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से मदद की गुहार लगाई। किसान ने कहा ‘हमने कर्ज लेकर खेती की, खाद के लिए समितियों के चक्कर काटे, घंटों लाइन में लगे रहे। कई बार धक्के खाए, लेकिन मेहनत रंग लाई, और अब सब कुछ बारिश में बह गया।’

कर्ज लेकर लगाई थी फसल

अन्य इलाकों में भी यही हाल है। बारिश के चलते खेतों में धान की फसलें चौपट हो गईं। किसानों का कहना है कि अब उनके पास गेहूं की बुवाई के लिए भी पैसे नहीं बचे। कई किसानों ने बैंक से कर्ज लिया था, कुछ ने ब्याज पर पैसे जुटाए थे, ताकि इस फसल से कर्ज चुकाएं, बेटी की शादी करें और परिवार का खर्च चलाएं। लेकिन अब उनकी मेहनत पर सिर्फ पानी नहीं, कर्ज का बोझ भी चढ़ गया है।

प्रशासन पर उदासीनता और लापरवाही का आरोप

किसानों ने प्रशासन पर उदासीनता और लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि अब तक नुकसान का सर्वे शुरू नहीं हुआ। अगर नुकसान का आंकलन नहीं किया गया, तो मुआवजा कैसे मिलेगा? किसान पूछ रहे हैं ‘हमारी फसलें डूब गईं, कर्ज का भुगतान कैसे होगा, और अगली बुवाई के लिए बीज-खाद कहां से लाएं?’

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