धनराज गवली, शाजापुर। कभी सोचा है कि हमारे साथ कोई घटना घटित होने वाली हो और उसका आभास हमें पहले ही हो जाए तो? जिससे हम आने वाली मुसीबत से बच जाएं। इसे सिर्फ चमत्कार ही कहा जाएगा। लेकिन मध्य प्रदेश के शाजापुर में बोलाई के सिद्धवीर हनुमान जी की ऐसी ही कृपा है। यहां हर शनिवार और मंगलवार को भक्त मंदिर पहुंचकर अपनी आस्था और उनका आभार व्यक्त करने बड़ी संख्या में पहुंचते है।

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हम बात कर रहे हैं श्री सिद्धवीर खेड़ापति हनुमान मंदिर की। जो रतलाम-भोपाल रेलवे ट्रैक के बीच बोलाई स्टेशन से करीब 1 किमी दूर है। मान्यता है कि यहां आने वाले लोगों को भविष्य की घटनाओं का पहले ही अंदाजा लग जाता है। इस मंदिर से कई चमत्कार जुड़े हुए हैं। मंदिर का सबसे बड़ा चमत्कार यह है कि मंदिर के सामने से जब भी कोई भी ट्रेन निकलती है तो उसकी स्पीड अपने आप कम हो जाती है। ट्रेन के लोको पायलट का कहना है कि, मंदिर आने के पहले ही अचानक उन्हें ऐसा लगता है मानो कोई उनसे ट्रेन की स्पीड कम करने के लिए कह रहा है। यदि कोई ड्राइवर इसे नजरअंदाज करता है तो अपने आप ही ट्रेन की स्पीड कम हो जाती है। इसके अलावा मंदिर को लेकर एक ओर मान्यता यह भी है की यहां भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यहां हर शनिवार, मंगलवार और बुधवार को दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।

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इस चमत्कार के कई लोग हैं साक्षी

पुजारी बताते हैं कि कुछ समय पहले रेलवे ट्रैक पर दो मालगाड़ी टकरा गईं थी। बाद में दोनों गाड़ियों के लोको पायलट ने बताया था कि उन्हें घटना के कुछ देर पहले अनहोनी का अहसास हुआ था। उन्हें ऐसा लगा था मानो कोई ट्रेन की रफ्तार कम करने के लिए कह रहा था। उन्होंने स्पीड कम नहीं की और इस कारण आमने-सामने की टक्कर हो गई थी। हनुमान जी के इस मंदिर को लेकर लोगों का मानना है कि मंदिर में विराजे हनुमान जी लोगों का भविष्य बताते हैं। भक्तों का मानना है की जो भी यहां आता है, उसे अपने जीवन में आने वाली घटनाओं का पूर्वाभास हो जाता है। कई लोगों को इसका अहसास भी हुआ है। तब से लोगों का मंदिर और हनुमान जी के प्रति विश्वास और भी बढ़ गया।

सिद्ध है राम भक्त हनुमान का यह मंदिर

वैसे तो मंदिर का कोई प्रमाणित इतिहास नहीं मिलता है। लेकिन मंदिर का निर्माण 300 साल पहले ठा. देवीसिंह ने करवाया था। यहां वर्ष 1959 में संत कमलनयन त्यागी ने अपने गृहस्थ जीवन को त्याग कर उक्त स्थान को अपनी तपोभूमि बनाया और यहां पर उन्होंने 24 वर्षों तक कड़ी तपस्या कर सिद्धियां प्राप्त की थी। इसलिए यह मंदिर बहुत ही सिद्ध मंदिर माना जाता है।

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