हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्यप्रदेश झाबुआ के कांग्रेस विधायक विक्रांत भूरिया एक बार फिर विवादों में हैं। उन पर आरोप लगा है कि उन्होंने गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए मिलने वाली स्वेच्छानुदान राशि का दुरुपयोग करते हुए इसे अपने परिचित व्यापारियों, रिश्तेदारों और पार्टी पदाधिकारियों के बीच बांट दिया। यह खुलासा एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) आवेदन से हुआ है, जिसमें दो साल की स्वेच्छानुदान राशि के वितरण की जानकारी मांगी गई थी।

डेढ़ करोड़ में से लाखों अपात्रों को मिले

आरटीआई के जरिए सामने आया कि जनवरी 2023 से जनवरी 2025 के बीच झाबुआ विधायक को स्वेच्छानुदान मद में कुल करीब डेढ़ करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। इस राशि का उपयोग जिन लोगों को आर्थिक मदद देने के लिए किया गया, उनमें बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जो व्यापारी, पढ़ाई नहीं कर रहे, संपन्न परिवार से या विधायक के नजदीकी रिश्तेदार हैं।

व्यापारियों को आर्थिक सहायता: लेकिन मदद के नाम पर कार्यक्रम खर्च

इस राशि का इस्तेमाल किसी ज़रूरतमंद की आर्थिक सहायता के लिए नहीं किया गया, बल्कि कार्यक्रमों में टेंट लगाने वाले, डीजे लगाने वाले, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान देने वाले, यहां तक कि एसी लगाने वाले व्यापारियों को दिया गया। RTI दस्तावेजों से सामने आया है कि एक ही परिवार के व्यापारियों को एक ही दिन में अलग-अलग ट्रांजैक्शनों के ज़रिए बड़ी रकम बांटी गई। कुछ लोगों को तो दो-दो बार भी भुगतान किया गया। जैसे, टेंट व्यवसायी सतीश जैन और उनके परिवार के सात लोगों को कुल 1 लाख 35 हजार रुपये मिले। इसी तरह, विक्की सकलेचा के परिवार को 1 लाख 5 हजार रुपये की सहायता दी गई। न्यू बालाजी रेस्टोरेंट के संचालक गोविंद बैरागी और उनकी पत्नी को 10-10 हजार, रेस्टोरेंट के कर्मचारी को भी 10 हजार रुपये दिए गए।

विधायक के कार्यालय से जुड़े और परिवारजन भी लाभार्थी

हटिला परिवार, जो विधायक के नजदीकी माने जाते हैं, उनके 8 सदस्यों को 2.75 लाख रुपये की राशि मिली। विधायक विक्रांत भूरिया के अपने रिश्तेदारों – जैसे जितेंद्र, दिवाशी, चंद्रवीर, संध्या, शिवानी, स्नेहा और आयुषी भूरिया – को भी 2.90 लाख रुपये की सहायता दी गई। इनमें से कुछ को दो बार भी ट्रांजैक्शन हुए हैं।

व्यवसायियों को “पढ़ाई” के नाम पर सहायता

पढ़ाई के नाम पर भी अपात्रों को सहायता दी गई। प्रतीक मोदी और प्राची मोदी को 10-10 हजार रुपये दिए गए, जबकि वे खुद व्यापारी हैं और दुकान संचालित करते हैं। जब प्रतीक मोदी से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि उनके खाते में पैसे कैसे आए और प्राची मोदी से उनका कोई संबंध नहीं है। इसी तरह ऋषभ इलेक्ट्रॉनिक्स के संचालक को भी “शिक्षा के लिए” सहायता दी गई।

कांग्रेस और एनएसयूआई पदाधिकारी भी लाभार्थी

विधायक ने कांग्रेस और एनएसयूआई से जुड़े पदाधिकारियों को भी इस राशि से लाभ पहुंचाया। कांग्रेस के रानापुर ब्लॉक अध्यक्ष दिनेश गाहरी को 5 हजार रुपये, युवा कांग्रेस के जिला महामंत्री दरियाव सिंगाड़ और उनकी पत्नी को कुल 9 हजार रुपये और एनएसयूआई के जिला अध्यक्ष नरवेश अमलियार को भी सहायता दी गई।

एक ही दिन में दो बार भुगतान के मामले

23 दिसंबर 2024 को रानापुर के करण, अनिल और संजय को एक ही दिन में दो बार 4-4 हजार रुपये दिए गए। पहले क्रमांक 27, 28, 29 पर और फिर क्रमांक 51, 52, 53 पर उन्हीं के नाम पर राशि स्वीकृत हुई।

RTI दस्तावेज lalluram.com के पास भी उपलब्ध

RTI से प्राप्त दस्तावेज, जिनमें इन लेन-देन का पूरा विवरण है, lalluram.com के पास भी मौजूद हैं। दस्तावेजों में स्पष्ट रूप से दिखता है कि कैसे एक ही परिवार के कई लोगों को एक ही दिन में ट्रांजैक्शन कर राशि बांटी गई।

शिकायतकर्ता का आरोप – उधारी चुकाने में किया दुरुपयोग

आरटीआई के आवेदक माथियस भूरिया का आरोप है कि विधायक ने व्यापारी वर्ग से उधार में सामान लिया और उसकी भरपाई स्वेच्छानुदान से की। उनका कहना है कि यह पूरी योजना गरीबों की राशि का दुरुपयोग कर अपनों को लाभ पहुंचाने की है। उन्होंने राज्यपाल, मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत कर मांग की है कि विधायक को पद से हटाया जाए और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो।

विधायक विक्रांत भूरिया का बचाव – बीजेपी की साजिश

विधायक विक्रांत भूरिया ने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा, “यह पूरा मामला अप्रैल 2023-24 का है, उस समय हमारे पास विधायक निधि तक नहीं आई थी। जो व्यक्ति यह आरोप लगा रहा है, वह खुद जिला बदर है, इसलिए उसे कांग्रेस पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। यह पूरी साजिश भाजपा की है, जो षड्यंत्र के तहत मेरे खिलाफ भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है।”उन्होंने आगे कहा, “जब-जब किसी आदिवासी के हक में काम होता है, तब-तब इस तरह के षड्यंत्र रचे जाते हैं ताकि जनप्रतिनिधियों को बदनाम किया जा सके।”

प्रशासन ने जांच के आदेश दिए

झाबुआ जिला पंचायत के सीईओ जितेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि मामले की शिकायत जनसुनवाई के माध्यम से प्राप्त हुई थी, जिसे जांच के लिए भेज दिया गया है। जांच के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।

क्या है स्वेच्छानुदान राशि का उद्देश्य?

स्वेच्छानुदान वह राशि होती है जिसे विधायक या सांसद को सामाजिक कार्यों और जरूरतमंदों की मदद के लिए सालाना दी जाती है। हर विधायक को लगभग 75 लाख रुपये सालाना स्वेच्छानुदान मिलता है। इसका उपयोग अनाथ, विकलांग, गरीब, असहाय लोगों की शिक्षा, स्वास्थ्य और आपात जरूरतों में किया जाना चाहिए। इसका उपयोग किसी समारोह के लिए टेंट, डीजे या व्यापारिक सेवाओं की उधारी चुकाने में नहीं किया जा सकता।

सवालों के घेरे में जनप्रतिनिधियों की नीयत

झाबुआ के इस मामले ने एक बार फिर इस बात को लेकर बहस छेड़ दी है कि क्या जनप्रतिनिधि जनता की सहायता राशि का दुरुपयोग निजी लाभ के लिए कर रहे हैं? अगर आरोप सही पाए गए, तो यह सिर्फ वित्तीय अनियमितता नहीं, बल्कि लोकतंत्र और नैतिकता दोनों के साथ बड़ा धोखा होगा। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या विधायक जी द्वारा दी गई इस राशि की जांच भी हो पाती है या फिर नहीं…

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