हरिश्चंद्र शर्मा, ओंकारेश्वर (खंडवा) मध्य भारत की जीवनदायिनी कही जाने वाली मां नर्मदा इन दिनों अपने रौद्र रूप में है। ओंकारेश्वर और इंदिरा सागर बांध दोनों ही अपनी अधिकतम क्षमता तक भर चुके हैं। जलस्तर नियंत्रित करने के लिए बीते दो दिनों से लगातार गेट खोलकर पानी छोड़ा जा रहा है। ओंकारेश्वर बांध की कुल क्षमता 196 मीटर है, जिसमें वर्तमान में 195.5 मीटर तक जल भर चुका है। इससे बिजली उत्पादन के लिए सभी 8 टरबाइनों से कुल 520 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। बांध के 23 में से 19 गेट खोले गए हैं, जिनसे 12,595 क्यूमेक्स पानी प्रतिक्षण नर्मदा में छोड़ा जा रहा है।
नर्मदा के जलस्तर पर विशेष नजर
ओंकारेश्वर से 15 किलोमीटर दूर मोरटक्का में केंद्रीय जल आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, नर्मदा का खतरे का निशान समुद्र तल से 163.980 मीटर निर्धारित है। फिलहाल जलस्तर 163.300 मीटर पर बना हुआ है, यानी खतरे के स्तर से मात्र एक फीट नीचे।
मोरटक्का पुल अभी सुरक्षित
इंदौर-खंडवा इच्छापुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित मोरटक्का पुल पर फिलहाल यातायात सुचारू है। यह पुल तब बंद किया जाता है, जब जलस्तर 164.500 मीटर को पार करता है। वर्तमान में यह स्तर अभी 1 मीटर नीचे है, किंतु प्रशासन सतर्क है।
बिजली उत्पादन के साथ-साथ जलप्रवाह भी नियंत्रित
ओंकारेश्वर के पश्चिमी हिस्से- अमरकंटक, डिंडोरी, मंडला, हरदा, नर्मदापुरम, हंडिया आदि क्षेत्रों में हो रही भारी वर्षा के चलते नर्मदा में निरंतर जल प्रवाह बना हुआ है। इस पानी को टरबाइनों के जरिए बिजली उत्पादन कर और गेट खोलकर धीरे-धीरे छोड़ा जा रहा है ताकि किसी भी आपदा की स्थिति से बचा जा सके।
घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी
लगातार बढ़ते जलस्तर को देखते हुए ओंकारेश्वर के सभी प्रमुख घाटों — कोटितीर्थ, चक्रवर्ती, ब्रह्मपुरी घाट आदि पर स्नान पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। घाटों की ओर जाने वाले मार्गों पर बैरिकेटिंग की गई है। सुरक्षा के लिहाज से SDRF, NDRF, होमगार्ड और स्थानीय पुलिस के जवानों को तैनात कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री की विशेष निगरानी
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव स्वयं नर्मदा नदी की बाढ़ स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। प्रशासन पूरी तरह से सतर्क है और राहत व बचाव के सभी जरूरी इंतजाम किए जा रहे हैं।
जिलों को किया गया अलर्ट
खंडवा कलेक्टर ऋषभ गुप्ता ने खरगोन, धार, बड़वानी और अलीराजपुर जिलों के कलेक्टरों को अलर्ट कर दिया है। ओंकारेश्वर बांध प्रबंधन द्वारा गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के पश्चिमी निचले हिस्सों में स्थित नर्मदा किनारे के गांवों और शहरों को चेताया गया है कि आने वाले दिनों में जलस्तर और बढ़ सकता है।
मां नर्मदा की यह प्रलयंकारी स्थिति जनजीवन को प्रभावित कर रही है, लेकिन प्रशासन की सतर्कता और बांध प्रबंधन की दक्षता के चलते अभी तक किसी बड़ी दुर्घटना की सूचना नहीं है। श्रद्धालुओं और नागरिकों से अपील है कि वे प्रशासन के निर्देशों का पालन करें और घाटों से दूर रहें।
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