सुशील खरे, रतलाम। मध्यप्रदेश के दमोह विधान सभा उप चुनाव परिणाम आने के बाद भी सत्ताधारी पार्टी बीजेपी की मुश्किलें कम नहीं हो रही है. पार्टी के पदाधिकारियों पर कार्रवाई के बाद पार्टी के भीतर विवाद और गुटबाजी थमने के बजाए और बढ़ गया है. पदाधिकारियों द्वारा बड़े नेताओं पर भी खुलकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं.
दमोह विधानसभा चुनाव में मिली पराजय के बाद भाजपा में उठा सियासी घमासान अब थमने का नाम नही ले रहा है. भाजपा द्वारा हार की समीक्षा के बाद पूर्व वित्त मंत्री और सात बार के विधायक जयंत मलैया को नोटिस देने के साथ ही उनके पुत्र सिद्धार्थ मलैया सहित चार मंडल अध्यक्षों को पार्टी से सस्पेंड कर दिया. इस मामले में पार्टी की कार्रवाई को अब भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व गृहमंत्री एवं राज्य योजना आयोग के पूर्व अध्यक्ष हिम्मत कोठारी ने गलत ठहराया है. वे खुलकर मलैया के समर्थन में आ गए हैं.
पार्टी को हार की समीक्षा सही तरीके से करना था
हार के कारणों पर पूर्व गृह मंत्री कोठारी ने कहा कि आखिर राहुल लोधी को पार्टी में लिया ही क्यों. क्या वह विचारधारा से प्रभावित होकर आया था. उसका इंतजार करना था जबकि पार्टी ने उसको निगम का चेयरमैन न बनाकर मंत्री का दर्जा दे दिया. राहुल के प्रति जनता में नाराजगी थी. वहीं महंगाई हार का मुख्य कारण बनी. उन्होंने कहा कि पार्टी ने अपने मुख्य वोट बैंक निम्न और मध्यवर्ग का ध्यान नहीं रखा, जिसके कारण ही पार्टी की हार हुई है. पार्टी को हार की समीक्षा सही तरीके से करना था. एक व्यक्ति को बलि का बकरा नहीं बनाया जाना था.
उन्होंने आगे कहा कि पूर्व मंत्री जयंत मलैया का परिवार जनसंघ के समय से पार्टी का कार्य इमानदारी से करता आ रहा है. पार्टी अब सामूहिक नेतृत्व पर विश्वास नहीं करती है. सामूहिक नेतृत्व पहले चलता था. एक पीढ़ी ही आने वाली पीढ़ी को आगे बढ़ाती थी. हमने भी हमारे बाद आई पीढ़ी के नेतृत्व में काम किया है.
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