
कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश के नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े मामले में हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सरकार से मान्यता संबंधी संशोधन की ओरिजिनल फाइल पेश करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान नर्सिंग काउंसिल द्वारा अनसूटेबल कॉलेज की ओरिजिनल फाइल पेश न करने पर नाराजगी भी व्यक्ति की है।
दरअसल लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की याचिका पर जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की बेंच ने सुनवाई की। इस दौरान हाईकोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल मान्यता 2018 में हुए तीन संशोधनों की ओरिजिनल फाइल जमा करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट इन फाइलों के जरिए यह खंगालने की कोशिश करेगी कि मान्यता अधिनियम 2018 के बाद तीन बार किए गए बदलाव की वास्तविक वजह क्या थी और इनमें बदलाव करने वाले में कौन-कौन लोग शामिल थे।
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कोर्ट ने मान्यता संशोधन संबंधित सभी फाइलें 28 मार्च के पहले हर हाल में पेश करने के निर्देश दिए हैं। आपको बता दे की विशाल बघेल की याचिका के माध्यम से यह आशंका जाहिर की गई है, कि मान्यता अधिनियम 2018 में संशोधन करने की वजह सिर्फ और सिर्फ अनसूटेबल कॉलेज को मान्यता देने के लिए किया गया है, जिसकी अब विस्तृत जांच की जानी चाहिए।
दस्तावेज पेश करने फिर से मोहलत मांगने पर फटकार
नर्सिंग काउंसिल द्वारा अनसुटेबल नर्सिंग कॉलेज की मान्यता और सम्बन्धता से जुड़ी मूल फाइल पेश न करने पर कोर्ट पर भी हाइकोर्ट ने फटकार लगाई है। दरअसल पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने मेडिकल यूनिवर्सिटी सहित नर्सिंग काउंसिल के सभी अनसूटेबल कॉलेज की ओरिजिनल फाइल मांगी थी, जिसे पेश करने के लिए नर्सिंग काउंसिल द्वारा फिर से मोहलत मांगी गई। जिसपर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की। अब मामले की अगली सुनवाई 28 मार्च को होगी।
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