हरीश शर्मा, ओंकारेश्वर (खंडवा)। ओंकारेश्वर रेलवे स्टेशन का इतिहास समाप्त हो चुका है! दरअसल, नए स्टेशन के लिए 2 किलोमीटर दूर ब्रॉड गेज बनाया जा रहा है. 1872 में अंग्रेजों ने इस रेलवे स्टेशन का निर्माण करवाया था. डेढ़ सौ साल बीत जाने के बाद भी यह इतना मजबूत था कि उसे तोड़ने में बड़ी-बड़ी मशीन लगी. इसके अंदर के लोहा उसे समय की ईमानदारी की कहानी बयां कर रहे हैं. टूटने के बाद भी पूरी तरह मजबूत है. अंग्रेजों ने आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान को जोड़ने के लिए हैदराबाद से लेकर अजमेर तक मीटर गेज लाइन का निर्माण करवाया था.

मध्य भारत की सबसे बड़ी दो हजार किलोमीटर लंबी मीटर गेज लाइन डाली थी. इस रेल मार्ग से आने वाले रेल यात्रियों की सुविधा को देखते हुए इस रेलवे स्टेशन का निर्माण किया गया था. क्योंकि यही से रेल यात्री उतारकर भगवान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में दर्शन करने श्रद्धालुओं जाते थे. फिल रेलवे स्टेशन से दक्षिण-पश्चिम जाने के लिए रेल में बैठकर अपने गंतव्य स्थान को जाते थे. उनकी की सुविधा को देखते हुए खंडवा, इंदौर, इच्छापुर सड़क मार्ग पर स्थित नर्मदा किनारे मोरटक्का जिसे ओंकारेश्वर रोड रेलवे स्टेशन के नाम से भी जाना जाता है. उसे समय का सर्व सुविधायुक्त रेलवे स्टेशन का निर्माण 1872 में शुरू कर 1874 में पूरा कर लिया गया था. जो अब टूट कर पूरी तरह से जमींदोज हो चुका है.

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ब्रिटिश काल में रेलवे स्टेशन का निर्माण

ब्रिटिश काल में इस रेलवे स्टेशन का निर्माण मजबूती से किया गया. इसके निर्माण में बीम कालम में रेलवे लाइन की गाडरे लगाई गई. स्टील के सरिया, रेती, चुने शीशम से छत भरी गई थी. तोड़ने के बाद भी पूरी तरह से सुरक्षित निकली है. 1995 में केंद्र में नरसिंहा राव सरकार में सुरेश कलमाड़ी केंद्रीय रेल राज्य मंत्री थे. स्पेशल ट्रेन से इंदौर से ओंकारेश्वर रोड रेलवे स्टेशन पहुंचकर भगवान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने पहुंचे थे. जब वह वापस स्टेशन पर आए तो उन्होंने रतलाम रेल मंडल के डीआरएम को निर्देश दिए कि ओंकारेश्वर रोड रेलवे स्टेशन को ऊपर से ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का स्वरूप दिया जाए. जिसके बाद रेलवे ने स्टेशन के ऊपर मंदिर के स्वरूप में रेलवे स्टेशन को बनाया.

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नए रेलवे स्टेशन का निर्माण 70% पूरा

समाजसेवी अजय कुमार मिश्रा ने बताया कि उनके स्वर्गीय पिता बद्री विशाल मिश्रा उन्हें बताते थे कि इसका निर्माण अंग्रेज शासन काल में जब मीटरगेज की लाइन डाली थी तब हुआ था. अंग्रेज बड़ी शक्ति से काम लेते थे. 70 सालों से मैं भी इस रेलवे स्टेशन को देखता आया हूं. ग्राम पंचायत मोरघड़ी के 90 वर्षीय गोवर्धन पटेल ने बताया कि गांव के बुजुर्गों हमें बताया करते थे अंग्रेजों के जमाने में रेलवे स्टेशन और नर्मदा नदी पर पुल का निर्माण किया गया था. मुझे भी इस स्टेशन का टूटने का बहुत दुख है. लेकिन खुशी भी है. दो किलोमीटर दूर ब्रॉड गेज की बड़ी-बड़ी ट्रेनों के लिए नए रेलवे स्टेशन का निर्माण 70% पूरा हो गया है. 2025 मार्च तक बनकर तैयार हो जाएगा. यही समय की मांग है. परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है. ब्रॉड गेज की लाइन डालने से पूरे भारत से लोग नवनिर्मित ओंकारेश्वर रोड रेलवे स्टेशन पहुंचकर भगवान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने जा सकेंगे.

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