अभय मिश्रा, मऊगंज। मध्य प्रदेश के मऊगंज जिले के शिक्षा विभाग से एक बार फिर शर्मनाक मामला सामने आया है। जनपद शिक्षा केंद्र हनुमना के ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (BEO) देवेंद्र मिश्रा पर एक शिक्षक से ₹50,000 की रिश्वत लेने का गंभीर आरोप लगा है। शिकायतकर्ता शिक्षक जागेश्वर प्रसाद द्विवेदी ने बताया कि ब्लॉक शिक्षा अधिकारी ने 244 दिन के अर्जित अवकाश (Earned Leave) की राशि का भुगतान करने के एवज में यह रकम मांगी और फोनपे के ज़रिए तीन किस्तों में वसूली भी की।
तीन किस्तों में रिश्वत का लेन-देन
आरोप है कि देवेंद्र मिश्रा ने पूरी राशि अपने पुत्र विनय प्रकाश मिश्रा के खाते में ट्रांसफर कराई। तीनों लेन-देन के UTR नंबर इस प्रकार हैं —पहली किस्त की राशि ₹20,000 – UTR: 706182444255 ,दूसरी किस्त ₹5,000 – UTR: 411307578990,तीसरी किस्त ₹25,000 – UTR: 525428406850 के माध्यम से ली गई है
जागेश्वर द्विवेदी ने कहा- देवेंद्र मिश्रा लगातार प्रताड़ना कर रहे थे। मैंने उन्हें नगद पैसा देने से इंकार किया और सबूत के तौर पर फोन-पे से राशि भेजी, ताकि रिश्वत का प्रमाण मेरे पास रहे। शिक्षक के पास इन तीनों ट्रांजेक्शनों के स्क्रीनशॉट साक्ष्य के रूप में मौजूद हैं।
पुराना भ्रष्टाचार और प्रशासनिक चुप्पी यह पहला मौका नहीं है जब ब्लॉक शिक्षा अधिकारी देवेंद्र मिश्रा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हों। सूत्रों के अनुसार, जब वे ब्लॉक स्रोत समन्वयक (BRCC ) के पद पर थे, तब भी उन्होंने बहुचर्चित RO घोटाले को अंजाम दिया था। इसके बावजूद न सिर्फ इन्हें बचाया गया, बल्कि प्रभारी ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के रूप में पदोन्नति भी दी गई। अब वही कुर्सी भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुकी है।
शिक्षक की पीड़ा और विभाग की खामोशी
शिक्षक जागेश्वर प्रसाद द्विवेदी ने बताया कि देवेंद्र मिश्रा लगातार दबाव बनाते रहे और भुगतान की रकम रोककर रिश्वत की मांग की। जब लल्लूराम डॉट कॉम द्वारा पीड़ित से बात की गई, तो उन्होंने इन आरोपों की पुष्टि करते हुए कहा कि मैंने यह रकम इसलिए ऑनलाइन दी ताकि रिश्वतखोरी के साक्ष्य साबित किए जा सकें।
शिक्षा विभाग में ‘डिजिटल भ्रष्टाचार’ का बोलबाला
यह मामला साबित करता है कि अब भ्रष्टाचार नकद से निकलकर ऑनलाइन हो गया है। फोनपे और ऑनलाइन लेनदेन के जरिए रिश्वत की रकम लेना बताता है कि अब विभाग में न ईमानदारी का डर बचा है, न प्रशासनिक सख्ती का असर।
बड़े सवाल
क्या मऊगंज प्रशासन शिक्षा विभाग की इस रिश्वतखोरी पर चुप रहेगा? कब तक भ्रष्ट अधिकारी छात्रों के भविष्य से खेलते रहेंगे? क्या अब रिश्वत लेना भी “डिजिटल सुविधा” बन चुका है?
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