शुभम नांदेकर, पांढुर्णा। मध्य प्रदेश के पांढुर्णा को जिला बने लगभग 2 साल हो चुके हैं। छिंदवाड़ा से अलग हुए पांढुर्णा को उच्चस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं देने एक साल पहले मध्य प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने 200 बिस्तरीय आधुनिक जिला चिकित्सालय निर्माण की हरी झंडी दी थी। 26 जुलाई 2024 को इसके लिए 32 करोड़ 50 लाख का बजट स्वीकृत कर टेंडर भी जारी कर दिया गया था।
लेकिन सरकारी कामकाज की सुस्त कार्यप्रणाली कहें या फिर प्रशासन की लापरवाही, लेकिन आज तक धरातल पर इसे लेकर कोई काम नहीं हुआ। हैरान करने वाली बात यह है कि साल भर बीत जाने के बाद जिला प्रशासन यह तक तय नहीं कर पाया है कि अस्पताल किस जगह बनाया जाएगा।
स्वीकृति मिली, फंड भी जारी लेकिन फिर भी निर्माण ठप
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर वर्षों से उन्हें नागपुर और छिंदवाड़ा की दौड़ लगानी पड़ रही है। अब जब सरकार ने जिला चिकित्सालय की सौगात दी है, तब प्रशासनिक अनदेखी और जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता के कारण निर्माण अटका पड़ा है। स्वीकृति मिलने और फंड जारी करने के बाद भी काम ठप है।
भूमि आवंटन ही नहीं हुआ, गरीबों की सेहत से खिलवाड़
एक ओर जहां शासन ने अस्पताल निर्माण के लिए आवश्यक धनराशि स्वीकृत कर दी है, वहीं जिला प्रशासन आज तक अस्पताल के लिए भूमि चयन नहीं कर सका है। नतीजतन निर्माण प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही। इस लापरवाही की सीधी मार गरीब और ग्रामीण तबके के लोगों पर पड़ रही है, जिन्हें मामूली इलाज के लिए भी महानगरों का रुख करना पड़ रहा है।
महिलाओं और गर्भवती माताओं पर सीधा असर
नवजात शिशु और प्रसव संबंधित मामलों में पांढुर्णा की महिलाओं को अब भी नागपुर के निजी या सरकारी अस्पतालों में जाना पड़ता है। इससे न केवल आर्थिक बोझ बढ़ता है, बल्कि समय पर इलाज न मिलने की स्थिति में जिंदगियों पर भी खतरा मंडराता है।
प्रशासनिक निष्क्रियता पर उठे सवाल
स्थानीय समाजसेवी संगठनों और जनप्रतिनिधियों से बार-बार आग्रह के बावजूद अब तक न कोई निर्माण स्थल तय हुआ है, न ही निर्माण कार्य की शुरुआत। सवाल उठता है कि क्या इतनी बड़ी स्वास्थ्य परियोजना को भी फाइलों में ही दबाकर छोड़ दिया जाएगा?
स्वास्थ्य जैसी संवेदनशील सेवा में देरी सिर्फ असुविधा नहीं, बल्कि संकट बन सकती है। पांढुर्णा की जनता को उम्मीद है कि प्रशासन अब नींद से जागेगा और जल्द अस्पताल निर्माण की दिशा में ठोस कदम उठाएगा।
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