अभय मिश्रा, मऊगंज। मध्य प्रदेश के मऊगंज में अवैध क्लीनिक और मेडिकल स्टोरों पर शिकंजा कसने के प्रशासनिक दावे एक बार फिर खोखले साबित हो रहे हैं। लगातार शिकायतों के बावजूद जिले में अवैध क्लीनिक और बिना पंजीयन वाले अस्पताल धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं, जिससे मरीजों की जान पर खतरा मंडरा रहा है।

हाल ही में जिले में एक पांच माह के शिशु की मौत के बाद प्रशासन हरकत में आया था। बिना पर्ची और बिना परामर्श दवा देने वाले मेडिकल स्टोर संचालक पर एफआईआर दर्ज कर उसका मेडिकल स्टोर सील किया गया था। बावजूद इसके, मऊगंज जिले में अवैध चिकित्सा संस्थानों का संचालन लगातार जारी है।

 देवतालाब में शंकर हॉस्पिटल और “एस.के. मल्टी स्पेशलिस्ट क्लिनिक” पर गंभीर आरोप

देवतालाब क्षेत्र में संचालित शंकर हॉस्पिटल की जांच ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (BMO) और अनुविभागीय अधिकारी (SDM) मऊगंज के संयुक्त दल द्वारा की गई। जांच के दौरान अस्पताल प्रबंधन पंजीयन से संबंधित कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सका। इसके बाद नोटिस जारी की गई, परंतु संचालक की ओर से न तो कोई जवाब मिला, न ही दस्तावेज उपलब्ध कराए गए।

BMO मऊगंज ने इस पूरे मामले की रिपोर्ट मऊगंज कलेक्टर एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) रीवा को सौंप दी थी। बावजूद इसके, अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

इसी तरह एस.के. मल्टी स्पेशलिस्ट क्लिनिक एंड हेल्थ केयर के खिलाफ भी जांच में यह पाया गया कि उसके पास वैध दस्तावेज नहीं हैं। BMO ने स्पष्ट किया कि निरीक्षण के दौरान क्लिनिक संचालक किसी प्रकार का पंजीयन या स्वीकृति पत्र नहीं दिखा सका।

ऑपरेशन जारी, मरीजों की जान से हो रहा खिलवाड़

स्थानीय पड़ताल में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि शंकर हॉस्पिटल में आज भी ऑपरेशन किए जा रहे हैं। अस्पताल परिसर में पंजीयन से जुड़ी कोई जानकारी प्रदर्शित नहीं की गई है। वहीं, प्रशिक्षित सर्जन या विशेषज्ञ डॉक्टर की गैरमौजूदगी में भी ऑपरेशन और इलाज जारी है।

स्वास्थ्य नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। सवाल यह है कि जब जांच टीम ने नियम विरुद्ध संचालन की पुष्टि की, तो अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या प्रशासन किसी दबाव में है या स्वास्थ्य अमले की लापरवाही से आमजन की जिंदगी दांव पर लगाई जा रही है?

 प्रबंधक ने दिए गोलमोल जवाब, BMO ने लगाए गंभीर आरोप

जब शंकर हॉस्पिटल के प्रबंधक से लल्लूराम डॉट कॉम ने संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि “हमारे पास सभी दस्तावेज मौजूद हैं।” लेकिन BMO के अनुसार, जांच के समय बार-बार मांगने पर भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए। रिपोर्ट CMHO रीवा को भेजी जा चुकी है, फिर भी कार्रवाई न होना प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाता है।

आखिर इन पर कब होगी कार्यवाही ?

जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की बिगड़ी तस्वीर अब आम जनता के सब्र की परीक्षा लेने लगी है। जब जांच रिपोर्ट और नोटिस के बाद भी कार्रवाई नहीं होती, तो यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर ऐसे अवैध अस्पतालों को संरक्षण कौन दे रहा है? अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो किसी भी दिन कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है। फिलहाल मऊगंज जिले में “स्वास्थ्य विभाग की निष्क्रियता” और “अवैध क्लीनिकों की मनमानी” दोनों पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

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