सुशील खरे,रतलाम। दीपावली के मौके पर अपनों के बीच खुशियां मनाने का आनंद ही कुछ और होता है, लेकिन मुक्तिधाम जैसी जगह पर लोग आतिशबाजी करते, दीप जलाकर और ढोल बजाकर खुशिया मनाए तो उसे आप क्या कहेंगे. ऐसा ही अनूठा नजारा रतलाम के त्रिवेणी मुक्तिधाम में देखने को मिला. जहां अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान और श्रद्धाजलि प्रकट करने के लिए सैकड़ों परिवार वहां दीपावली मनाने पहुंचे.
त्रिवेणी मुक्तिधाम में हर साल रूप चौदस के दिन अलग ही नजारा देखने को मिलता है. मुक्तिधाम में जहां एक ओर तीन चिताएं जल रही थी. वहीं दूसरी ओर सैकड़ों लोग दीपक जलाकर आतिशबाजी कर रहे थे. छोटे बच्चों से लेकर महिलाएं और बुजुर्ग मुक्तिधाम में दिवाली मनाते नजर आए. मुक्तिधाम में दिवाली मनाने की यह अनोखी परंपरा साल 2006 से लगातार जारी है.
इसमें शामिल होने के लिए रतलाम ही नहीं, अहमदाबाद, बड़ौदा और मुंबई से भी लोग वहां पहुंचते हैं. श्मशान में आमतौर पर महिलाएं और बच्चे जाने से बचते हैं, लेकिन त्रिवेणी मुक्तिधाम में छोटे बच्चे और महिलाएं श्मशान में दिवाली मनाते हैं. बच्चे और महिलाओं का कहना है कि अपने पूर्वजों को दीपदान करने के लिए वह वहां आते हैं. शुरुआत में श्मशान के नाम से डर लगता था, लेकिन अब दीपावली पर वहां आकर रंगोली बनाना और आतिशबाजी करना अच्छा लगता है.
दरअसल, पूर्वजों के साथ दिवाली मनाने की यह परंपरा है. जो रतलाम में पिछले कुछ सालों से प्रचलित हो रही है. वहां लोग मुक्तिधाम को अपने घर की तरह सजाते हैं और रंगोली बनाकर ढोल की थाप पर आतिशबाजी करते हैं.
Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक