इंद्रपाल सिंह, नर्मदापुरम। मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम में इन दिनों 5 दिवसीय 68वीं राज्य स्तरीय बैडमिंटन और शतरंज प्रतियोगिता चल रही है. जिसमें 10 संभाग से करीब 500 स्कूली बच्चे प्रतिभागी बनकर शामिल हुए हैं. इस प्रतियोगिता में बड़ी बात यह है कि दोनों खेलों में खिलाड़ियों को अब तक किट नहीं दिया गया है. जिसके चलते खिलाड़ी अपने कपड़ों में मैच खेलते नजर आ रहे हैं. जबकि कोई भी खेल प्रतियोगिता में खिलाड़ी को शासन स्तर से ड्रेस दी जाती है. जिसे पहनकर खिलाड़ी प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हैं. लेकिन इस राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में ऐसा कुछ नहीं दिखाई दे रहा. जो प्लेयर मैच खेल रहे हैं वह अलग-अलग रंग-बिरंगी कपड़ों में खेलते नजर आ रहे हैं.

खेलों को बढ़ावा दिए जाने और खेलों में सुविधाएं दिए जाने को लेकर राज्य सरकार कई प्रकार से दावे करती है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. जिन खिलाड़ी को प्रदेश स्तर के लिए चयनित किया जाना है. उन्हें आयोजित राज्य स्तरीय बैडमिंटन और शतरंज प्रतियोगिता में खेल किट (ड्रेस) नहीं दी गई है. जिसके चलते खिलाड़ी अपने खुद की ड्रेस में ही खेलते दिखाई दे रहे हैं. लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) की लापरवाही के चलते खिलाड़ी बिना किट के मैच खेलने को मजबूर हैं.

बताया जा रहा है कि डीपीआई ने जिला शिक्षा अधिकारी और संयुक्त संचालक लोक शिक्षण से खिलाडियों को किट दिए जाने के अधिकार छीन लिए हैं. अब तक वहां पहुंची टीम को किट भी नहीं दिए गए. जिस वजह से हालात यह बन गए हैं कि बच्चे बिना किट के मैच खेल रहे हैं. अधिकांश टीमों के चार-चार मैच हो चुके हैं और उनका टूर्नमेंट खत्म होने को है पर उन्हें किट नहीं मिल पाई.

खिलाड़ियों का कहना है कि जब सुविधाएं ही नहीं मिलेंगे तो परिमाण अच्छा कैसे मिलेंगे. प्रतियोगिता की कॉडिनेटर भी इस बात को मानती हैं कि किट न मिलने की वजह से खिलाड़ियों में निराशा है. खेलों में दी जाने वाली सुविधाओं का इस प्रतियोगिता से अंजदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश के खिलाड़ी केवल अपने प्रतिद्वंदी खिलाड़ी से ही नहीं जूझते हैं, बल्कि पहले उन्हें खराब परिस्थियों से जूझना पड़ता हैं.

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