धर्मेंद्र ओझा, भिंड। मध्य प्रदेश के भिंड जिले से लोकतंत्र को शर्मसार करने वाली एक गंभीर और निंदनीय घटना सामने आई है। जहां पुलिस अधीक्षक कार्यालय परिसर में पत्रकारों को सिर्फ इसलिए पीटा गया क्योंकि उन्होंने पुलिस के खिलाफ अवैध रेत खनन और वसूली की खबरें प्रकाशित की थीं। यह घटना न केवल प्रेस की स्वतंत्रता पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि शासन और प्रशासन की असहिष्णु मानसिकता को भी उजागर करती है।
क्या है मामला ?
पत्रकारों के साथ में मारपीट करने में भिंड पुलिस अधीक्षक असित यादव, एवं एडिशनल एसपी संजीव पाठक, एवं सी एस पी दीपक तोमर एवं फूप थाना प्रभारी सत्येंद्र राजपूत, एवं ऊमरी थाना प्रभारी शिव प्रताप सिंह, एवं भारौली थाना प्रभारी गिरीश शर्मा , सिटी कोतवाली थाना प्रभारी बृजेंद्र सेंगर, देहात कोतवाली मुकेश शाक्य, एवं बरौही थाना प्रभारी अतुल भदौरिया, ए एस आई सत्यवीर सिंह साइबर सेल। इन सभी अधिकारियों की मिलीभगत से पत्रकारों की चप्पलों से जमकर पिटाई की गई।
न्यूज़ 24 एमपी-सीजी के रिपोर्टर धर्मेंद्र ओझा के घर को पुलिस ने रात्रि में 12:00 बजे घेर लिया और रिपोर्टर का मोबाइल छुड़ाकर जो अधिकारियों के खिलाफ सबूत थे वह पूरी तरह से डिलीट कर दिए दिए। सूत्रों के अनुसार, कुछ स्थानीय पत्रकारों ने हाल ही में भिण्ड पुलिस द्वारा की गई कथित लापरवाहियों और आम नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार की खबरें प्रकाशित की थीं। इन खबरों में पुलिस के भ्रष्टाचार, अवैध बसूली अवैध रेत खनन और थानों में हो रही है मनमानी और आम जनता से दुर्व्यवहार की घटनाओं को उजागर किया गया था।
इन्हीं खबरों से नाराज़ पुलिस ने, पत्रकारों को बुलाकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय परिसर में ही उनके साथ मारपीट की। पत्रकारों के अनुसार, उन्हें पीटते हुए पुलिसकर्मियों ने यह भी कहा कि “बहुत खबरें छापते हो, अब दिखाते हैं पत्रकारिता।” पत्रकारों ने वीडियो जारी कर अपने खिलाफ पुलिस द्वारा झूठे मामले में फंसाने अथवा हत्या करवाने का भी पुलिस पर आरोप लगाया है ।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने कसा तंज
घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने तीव्र नाराजगी जताई। उन्होंने कहा- “यह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा हमला है। जब सत्ता में बैठे लोग और उनके अधीनस्थ पुलिस अधिकारी, पत्रकारों की आवाज़ को कुचलने का प्रयास करते हैं, तो यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरे की घंटी है। मुख्यमंत्री को तत्काल इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच का आदेश देना चाहिए। अगर दोषी पुलिसकर्मी बख्शे गए, तो यह और भी खतरनाक उदाहरण बनेगा।”
पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने सीएम से की है मांग
1. न्यायिक जांच: पूरे मामले की निष्पक्ष, स्वतंत्र और न्यायिक जांच कराई जाए।
2. दोषियों पर सख्त कार्रवाई: मारपीट में शामिल पुलिसकर्मियों को तत्काल निलंबित कर उन पर आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए।
3. पत्रकार सुरक्षा कानून: राज्य में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून लाया जाए जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनवृत्ति रोकी जा सके।
4. मूलभूत अधिकारों की रक्षा: प्रेस की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए सरकार संवैधानिक दायित्व निभाए।
लोकतंत्र पर संकट की आहट
यह घटना केवल एक पत्रकार पर हमला नहीं है, यह पूरी पत्रकारिता बिरादरी और लोकतंत्र की आत्मा पर हमला है। जब सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने वालों को प्रताड़ित किया जाएगा, तो यह देश की मूलभूत लोकतांत्रिक संरचना को खोखला करेगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रदेश सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है? क्या दोषियों पर कार्रवाई होती है या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह धूल फांकता रह जाएगा ?
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