हेमंत शर्मा, इंदौर। शहर तुकोगंज क्षेत्र में बिल्डर कमलेश अग्रवाल से दिनदहाड़े 18 लाख के जेवर लूटने वाले बदमाश लगातार पुलिस को चकमा दे रहे हैं। सीसीटीवी फुटेज के सहारे पुलिस ने उनका पीछा किया, लेकिन वे बार-बार ऐसे इलाकों में चले जाते जहां कैमरे नहीं हैं। नतीजतन, पुलिस के पास कोई ठोस तकनीकी सबूत नहीं है, और ह्यूमन इंटेलिजेंस भी नाकाम साबित हो रहा है। वारदात के पांच दिन बाद भी बदमाशों का कोई सुराग नहीं मिला है।
गैंग पर संदेह, लेकिन ठोस सबूत नहीं
सूत्रों के अनुसार, बदमाश उज्जैन में पुलिस को गुमराह कर फरार हो गए। तुकोगंज और विजय नगर थानों के साथ-साथ क्राइम ब्रांच और स्पेशल टीम के अधिकारी अलग-अलग टास्क पर काम कर रहे हैं, लेकिन अब तक खाली हाथ हैं। फुटेज के आधार पर पहले गुना और हरियाणा के मेवात गैंग पर शक था। जांच में पता चला कि संदेह के घेरे में आया सुनील नामक बदमाश किसी अन्य प्रदेश की जेल में बंद है। वहीं, ओमवीर नामक बदमाश के फोटो की पहचान फरियादी ने की, लेकिन पुलिस को अब भी उसकी पूरी पुष्टि नहीं है। दिल्ली, नोएडा और हरियाणा पुलिस से भी फुटेज और डेटा साझा किया गया है।
पुरानी वारदातों से जुड़ा इतिहास
बदमाश इतने शातिर हैं कि वे इंदौर जैसी करीब एक दर्जन वारदातों को अंजाम दे चुके हैं। इन पर कई जिलों में शिकायतें दर्ज हैं, लेकिन हर बार कोई सुराग छोड़े बिना फरार हो जाते हैं। वारदात के बाद ये मुख्य सड़कों की बजाय ग्रामीण इलाकों के रास्तों का उपयोग करते हैं, जिससे पुलिस के लिए इनका पीछा करना मुश्किल हो जाता है।
पुलिस पर सवाल
तकनीकी और ह्यूमन इंटेलिजेंस की नाकामी के चलते पुलिस अब तक लुटेरों तक पहुंचने में विफल रही है। क्या पुलिस अपनी रणनीति बदलकर इन्हें पकड़ने में कामयाब होगी, यह सवाल अब भी बना हुआ है।
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