शिखिल ब्योहार, भोपाल। मध्य प्रदेश में इन दिनों मंदिरों पर बजने वाले लाउडस्पीकर को लेकर चर्चा गरमा गई है। महिला आईएएस शैलबाला मार्टिन के ट्वीट के बाद विवाद और गहरा गया है। इस पर सियासत शुरू हो गई है। विश्व हिंदू परिषद, बीजेपी कांग्रेस और सपा ने इस मुद्दे पर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी है। विहिप ने सीधा सवाल करते हुए कहा कि किस धर्म की आईएएस मार्टिन, किस धर्म पर निशाना साध रही है। विश्व हिंदू परिषद प्रांत प्रचार प्रसार प्रमुख जितेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि आईएएस अधिकारी का  इस्लामिक स्पीकरों से प्रेम है, शासन तत्काल इस पर कार्रवाई करें। 

मंदिर और हिंदू पर ईसाई महिला अफसर का विवादित बयान क्यों- VHP 

विश्व हिंदू परिषद के प्रांत प्रचार प्रसार प्रमुख जितेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि मंदिर और हिंदू पर ईसाई महिला अफसर का विवादित बयान क्यों, इतनी हिम्मत हैं तो इस्लाम पर बयान दें। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म पर ही ईसाई महिला अधिकारी कुठाराघात करेंगी। सरकार जांच करें किस मानसिकता की यह महिला आईएएस अधिकारी है। मंदिरों और धार्मिक आयोजन में हिंदू और अन्य धर्मों के आयोजन में ध्वनि की मापकता का आईएएस महिला अधिकारी अध्यन करें। उन्होंने कहा हिंदू सॉफ्ट टारगेट नहीं है। इस प्रकार के ट्वीट करने वाली अधिकारी की मानसिकता पर कई सवाल उठते हैं। 

मामले को धर्म ने नहीं जोड़ना चाहिए- कांग्रेस 

वहीं कांग्रेस ने कहा किमामले को धर्म ने नहीं जोड़ना चाहिए।प्रदेश प्रवक्ताजितेंद्र मिश्रा ने कहा कि नियमों के तहत मंदिर और मस्जिद दोनों को इस मामले को जातिगत और धर्म के चश्मे से नहीं देखना चाहिए। यह ध्वनि प्रदूषण का मामला है। सरकार नियमों के पालन कराने में नाकाम साबित हुई है। 

भारतीय जनता पार्टी की सरकार हमेशा संविधान को खत्म करना चाहती है- सपा 

इधर समाजवादी पार्टी का भी बयान सामने आया है, प्रदेश अध्यक्ष मनोज यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार हमेशा संविधान को खत्म करना चाहती है। अगर संविधान में कोई कानून व्यवस्था है तो सभी के लिए बराबर है। मामले पर एक विशेष समुदाय पर राजनीति हो रही है। 

मध्यप्रदेश में कानून और संविधान का राज- बीजेपी 

वहीं इस पूरे मसले पर बीजेपी ने कहा कि मध्यप्रदेश में कानून और संविधान का राज है। प्रदेश प्रवक्ता मिलन भार्गव ने आईएएस अधिकारी की मानसिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि अफसरों को नियमों के पालन करने के अधिकार, यह ट्वीट किस मानसिकता से प्रेरित है। ध्वनि को लेकर सभी धर्म को एक तराजू में देख कर कार्रवाई की गई है। बिना प्रमाण के इस तरीके से ट्वीट का उद्देश्य महिला अधिकारी साफ करें। सरकार ऐसे अफसरों को लेकर विचार मंथन करेगी। 

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