समीर शेख, बड़वानी। मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में लौकी की खेती करने वाले किसान इन दिनों आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। बाजार में लौकी के दाम इतने कम हैं कि किसान अपनी फसल को या तो फेंक रहे हैं या फिर मवेशियों को खिला रहे हैं।
लगातार बारिश और ट्रांसपोर्ट भी महंगा
किसान दीपक गेहलोद ने बताया कि उनके चार एकड़ खेत में लौकी की फसल लगाई है। फसल की लागत एक से डेढ़ लाख रुपए आई है। व्यापारी अच्छी क्वालिटी की लौकी भी महज एक रुपए प्रति किलो के भाव पर भी खरीदना नहीं चाहते हैं। शुरुआत में कुछ माल 5 रुपए किलो तक बिका, लेकिन अब वह भी नहीं बिक पा रहा है। लगातार बारिश और महंगे ट्रांसपोर्ट के कारण लौकी मंडी से बाहर नहीं जा पा रही है। किसानों को 13 से 15 रुपए प्रति किलो की उम्मीद थी।
पिछले 20 दिनों से लौकी मंडी में आ रही
बड़वानी क्षेत्र से लौकी, खीरा और कद्दू जैसी सब्जियां दिल्ली समेत पूरे प्रदेश में भेजी जाती हैं। व्यापारी परेश नामदेव के अनुसार, कुछ किसानों को खड़ी फसल का भुगतान पहले ही कर दिया गया है। ये किसान अपनी लौकी व्यापारियों के पास भेज रहे हैं। पिछले 20 दिनों से लौकी मंडी में आ रही है, लेकिन बाहरी बाजार में नहीं पहुंच पा रही है। ट्रांसपोर्ट का खर्च इतना ज्यादा है कि किसानों को फसल को नष्ट करना पड़ रहा है।
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किसान के साथ व्यापारी भी परेशान
किसान लोकेश मुकाती ने बताया कि लौकी के ट्रक को बाहर भेजने में बहुत खर्च हो रहा है। महंगाई के चलते कोई भी बाहर का खरीददार लौकी के ट्रक हम लोगों से नहीं मंगा रहा है। ऐसे में लौकी को कूड़े में फेंकना पड़ता है। हमारी बात को कोई सुनने वाला नहीं है। किसान ने कहा कि यही हाल रहा तो हम बर्बाद हो जाएंगे। किसान के साथ व्यापारी भी परेशान हैं जो सीधे अपनी फसल नगद खेत से बेचते हैं, उनसे भी उनकी फसल कोई नहीं ले रहा।

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