शुभम जायसवाल, राजगढ़। मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के पचोर शहर के आरोग्य हॉस्पिटल में इलाज के नाम पर बड़ा लापरवाही का मामला सामने आया है। 35 वर्षीय महिला दुर्गाबाई को परिजन चार दिन पहले थकान और कमजोरी की शिकायत पर यहां लाए थे, जहां खून की कमी बताकर उसे भर्ती कर लिया गया। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने इलाज के नाम पर उनसे करीब 90 हजार रुपये वसूल लिए। सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि महिला का इलाज किसी एमबीबीएस या स्पेशलिस्ट डॉक्टर द्वारा नहीं, बल्कि अस्पताल का पूरा जिम्मा संभाल रहे बीएचएमएस डिग्रीधारी डॉक्टर जितेंद्र नागर कर रहे थे। जबकि अस्पताल संजय नागर नामक व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड है और नियमानुसार उसकी 24 घंटे मौजूदगी अनिवार्य है।

महिला के स्वास्थ्य में सुधार की दी झूठी जानकारी 

मृतका के परिजनों द्वारा उपलब्ध कराई गई उपचार फाइल में साफ तौर पर दर्ज है कि 14 सितंबर को महिला को खून की कमी बताते हुए एक साथ चार यूनिट रक्त चढ़ाया गया। इसके बाद चार दिनों तक परिजनों को महिला के स्वास्थ्य में सुधार की झूठी जानकारी दी जाती रही। बीती रात जब महिला की मौत हो गई, तो डॉक्टर ने उसे एनएस की बोतल चढ़ाकर जिंदा बताने का प्रयास किया। परिजनों ने जब महिला का शरीर छूकर देखा तो वह ठंडा हो चुका था और कोई धड़कन नहीं थी। इसके बावजूद डॉक्टर ने महिला को रेफर करने की बात कही, लेकिन न तो कोई रेफर पर्चा दिया और न ही इलाज का ब्यौरा सौंपा।

बीएचएमएस डिग्रीधारी गंभीर मरीजों का कर रहा इलाज 

अस्पताल में बाकायदा ऑपरेशन थिएटर और आईसीयू बने हुए हैं और वहां एक बीएचएमएस डिग्रीधारी डॉक्टर गंभीर मरीजों का इलाज कर रहा है। सवाल यह उठता है कि क्या किसी होम्योपैथिक डिग्रीधारी डॉक्टर को इस तरह अस्पताल का प्रभारी बनकर गंभीर बीमारियों का इलाज करने का अधिकार है?

अस्पताल के बहार शव रखकर परिजनों ने किया प्रदर्शन 

महिला की मौत के बाद गुस्साए परिजनों ने शव को अस्पताल के बाहर रखकर जमकर प्रदर्शन किया। सूचना पर पुलिस और तहसीलदार मौके पर पहुंचे और परिजनों को समझाइश देने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए शासकीय अस्पताल पचोर भेजा गया। वहीं, डॉक्टर का कहना है कि महिला को ब्लड की गंभीर कमी थी और उसे अचानक अटैक आया, जिसके चलते उसकी मौत हो गई।

इस पूरे मामले ने प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजनों और स्थानीय लोगों की मांग है कि अस्पताल संचालक और लापरवाह डॉक्टर पर तत्काल एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाए और अस्पताल को बंद किया जाए। लोगों का कहना है कि यह मामला केवल लापरवाही नहीं बल्कि मरीजों की जान के साथ खुला खिलवाड़ है, जिस पर सख्त कदम उठाना जरूरी है।

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