आशुतोष तिवारी, रीवा। मध्य प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग जनता के इलाज और सुविधाएं के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। लेकिन इसके बाद भी उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। दरअसल, मध्य प्रदेश के रीवा से सिस्टम की शर्मनाक तस्वीर सामने आई है। जहां गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा पर अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस होने के बावजूद खाट से दो किलोमीटर तक लादकर ले जाना पड़ा।

एंबुलेंस ड्राइवर ने गांव में आने से किया इनकार
मऊगंज के कोन गांव में एक हरिजन परिवार की बहू वर्षा साकेत को अचानक प्रसव पीड़ा हुई। परिजनों ने तत्काल 108 एंबुलेंस को फोन किया, मगर एंबुलेंस देर से पहुंची और जब पहुंची तो ड्राइवर ने गांव के अंदर आने से साफ मना कर दिया। उसने कहा, “सड़क नहीं है, गाड़ी नीचे नहीं उतरेगी। ये आपकी समस्या है।” जब कोई और रास्ता नहीं बचा तो परिजनों ने पड़ोसियों की मदद ली एक खाट निकाली और उसी पर लिटाकर महिला को करीब 2 किलोमीटर दूर मुख्य सड़क तक लाया गया, जहां एंबुलेंस खड़ी थी।

चारपाई से प्रसूता को एंबुलेंस तक ले जाना पड़ा
पीड़ित उमेश कुमार साकेत ने बताया, “एम्बुलेंस देर से आई और चालक गांव तक एम्बुलेंस लाने से मना कर दिया। जिसके कारण मुझे गांव वालों को इकट्ठा करना पड़ा और खुद चारपाई से प्रसूता को एंबुलेंस तक ले जाना पड़ा।”
आज तक नहीं बनी पक्की सड़क
गांव में आज तक पक्की सड़क नहीं बनी। बरसात में बच्चे स्कूल नहीं जा पाते। कई बार जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से गुहार लगाई गई, लेकिन नतीजा शून्य निकला। ये वही देश है जहां हर बजट में ‘सड़क’, ‘स्वास्थ्य’, और ‘विकास’ जैसे शब्द गूंजते हैं। लेकिन जमीनी हकीकत, इस चारपाई पर लेटी महिला की तरह पूरी तरह बेबस और लाचार है।
BMO ने नहीं दी सफाई
सोचिए, जब प्रसव पीड़ा से तड़पती एक महिला को सड़क तक पहुंचाने के लिए इंसानों को खुद एंबुलेंस बनना पड़े तो फिर सरकारी तंत्र और सरकारों का क्या औचित्य रह जाता है ? इस मामले पर ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।
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