आशुतोष तिवारी, रीवा। Rewa, Tent scam: मध्य प्रदेश में इन दिनों घोटालों का अंबार लगा हुआ है। यूं तो सरकारी कामकाज के बिल जल्द पास नहीं होते। लेकिन जब बात भ्रष्टाचार की आ जाए तो कलम GPS से भी तेज काम करने लगता है। यही वजह है कि पौधा, स्नैक, आयुष्मान, ड्राय फ्रूट और पेंट के बाद एक नया ‘टेंट घोटाला’ सामने आया है। जहां मंत्री प्रह्लाद पटेल के 40 मिनट के कार्यक्रम के लिए अफसरों ने जमकर भ्रष्टाचार किया और सरकार को 10 लाख रुपए का चूना लगा दिया। जिसका खुलासा होता ही विभाग में हड़कंप मच गया।

40 मिनट के कार्यक्रम में 10 लाख फुर्र
दरअसल, ताजा मामला रीवा जिले के मऊगंज का है। जहां 17 अप्रैल 2025 को खैरा गांव में जल गंगा संवर्धन अभियान का कार्यक्रम आयोजित हुआ था। इस कार्यक्रम में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम शामिल हुए। कार्यक्रम महज 40 मिनट चला और जनपद पंचायत मऊगंज ने यहां 10 लाख रुपये खर्च कर दिए।

बल्ब बेचने वाली दुकान से खरीदी गद्दे और चादर
हैरान करने वाली बात है कि मंत्री गंगा जल संवर्धन योजना के तहत महज 40 मिनट के लिए शामिल हुए थे। जहां गद्दे और चादर की कोई जरूरत ही नहीं पड़ी। बावजूद इसके अफसरों ने बल्ब बेचने वाली दुकान से गद्दे और चादर किराए में लेकर 10 लाख रुपए का सरकार को चूना लगा दिया।

किराना, मिठाई, टेंट और नाश्ता, सब एक दुकान से ख़रीदा
यह राशि एक ही वेंडर प्रदीप इंटरप्राइजेज को दी गई है। किराना, मिठाई, टेंट, लाइट, नाश्ता सब कुछ एक ही दुकान से लिया गया। गद्दे 30 रुपये, चादर 35 रुपये प्रति यूनिट की दर से किराए पर ली गई। वो भी बिजली बल्ब बेचने वाली दुकान से। यह ऐसा खर्च है जिनका जमीन पर कोई नामोनिशान नहीं है। सबसे हैरान करने वाली बात कि गद्दे और चादर बिजली की दुकान से किराए पर लिए गए है। तो सवाल उठता है कि क्या अब बल्ब बेचने वाले बिस्तर किराए पर देने लगे हैं।

लेखपाल के आरोप पर हुआ खुलासा
मामला तब उजागर हुआ जब लेखपाल ने सी.ई.ओ. पर लिखित आरोप लगाया ह। उन्होंने कहा कि रामकुशल मिश्रा ने जबरन उसकी डी.एस.सी. और मोबाइल छीनकर भ्रष्टाचार किया गया है।

नाश्ता न पानी, फिर लाखों के बिल कैसे बने ?
जनपद अध्यक्ष ने बताया नीलम सिंह ने बताया कि मंच पर उन्हें जगह तक नहीं मिली थी। इस कार्यक्रम में लगभग 150 लोग मौजूद थे। मंच पर जनप्रतिनिधियों को बैठने तक की जगह नहीं थी और ना ही नाश्ता पानी का इंतजाम। फिर लाखों के चाय-नाश्ते के बिल कैसे बने।
स्वीकृति से ज्यादा निकाली राशि
पंचायत दर्पण पोर्टल पर अपलोड नोटशीट के अनुसार कार्यक्रम के लिए 2 लाख 54 हजार की स्वीकृति दी गई थी। लेकिन निकाले गए 7 लाख 45 हजार से ज्यादा। वो भी बिना जनपद पंचायत की बैठक, बिना प्रस्ताव पारित हुए है।

विवादित अफसरों को दी प्रकरण की निगरानी
इस पूरे प्रकरण की निगरानी जिन अधिकारियों को करनी थी वो खुद विवादों में हैं। मामला उजागर होने की बाद कलेक्टर संजय कुमार जैन ने जांच के आदेश दिए है। इनका कहना है कि सभी दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
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