धर्मेंद्र ओझा, भिंड। सरकार गांवों को मुख्य मार्ग से जोड़ने का दावा करती है. लेकिन यह दावा झूठा साबित हो रहा है. भिंड जिले के एक गांव में अभी तक न नहीं पक्की सड़क है और न ही गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ा गया है. ऐसे में स्कूली बच्चों और ग्रामीणों को कई दिक्कतें होती है. शासन-प्रशासन के गुहार लगाने के बाद भी जिम्मेदार कुंभकरण की नींद सो रहे हैं.

बता दें कि यह मामला ग्राम पंचायत राहवली वेहड के मजरा रावतपुरा सानी का है. जहां ग्रामीणों को मुख्य मार्ग से नहीं जोड़ा गया है. उनका कहना कि हमारे गांव में 2 हजार से अधिक की आबादी है. फिर भी गांव को मुख्य मार्ग से नहीं जोड़ा गया. जबकि गांव में वोटिंग लगभग 800 की है. बावजूद हमें शासन की योजनाओं से वंचित रखा जाता है. गांव में मुक्तिधाम भी अधूरा पड़ा है. आंगनबाड़ी तक जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है. प्राइमरी और मिडिल स्कूल के बच्चों को दलदल में होकर स्कूल जाना पड़ता है.

ग्रामीणों की मानें तो किसी की तबीयत खराब होने पर उसे चारपाई पर रखकर में रोड तक ले जाना पड़ता है. खेतों में सरसों की फसल की बुवाई हो चुकी है. इसलिए गांव में पगडंडी का जो रास्ता था वह भी धीरे-धीरे बंद हो रहा है. मुख्य मार्ग में अभी भी घुटनों तक पानी भरा हुआ है. जिसको लेकर हम सभी ग्रामीण परेशान हो रहे हैं. खेतों से अनाज घरों तक बड़ी मुश्किल से लेकर आते हैं. क्योंकि रास्ते में ट्रैक्टर ही फंस जाता है. किसी की शादी-ब्याह में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

मुख्य मार्ग की लंबाई लगभग 800 मीटर बताई जा रही है. फिर भी संबंधित अधिकारी और नेताओं ने आज तक इस गांव को मुख्य मार्ग से नहीं जोड़ा है. लहार-मिहोना, कलेक्टर, कमिश्नर और मुख्यमंत्री तक ग्रामीणों ने आवेदन दिए. फिर भी अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. यह कहना उचित होगा कि शासन की योजनाओं की पोल खुल गई है और अधिकारी-नेताओं के वादे झूठे निकले.

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