कुमार इंदर, जबलपुर। शहर की बर्फानी सिक्योरिटी सर्विसेज कंपनी का एक और फर्जीवाड़ा सामने आया है, कंपनी के कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि उन्हें 4 महीने की सैलरी नहीं दी है। यही नहीं कर्मचारियों ने यह भी कहा है कि पिछले 28 महीने से उनका पीएफ भी जमा नहीं हुआ है। कंपनी के कर्मचारियों ने कहा कि बर्फानी कंपनी से लेकर निगम अधिकारी तक कई बार प्रार्थना कर चुके लेकिन उन्हें ना तो सैलरी मिली और ना ही पीएफ जमा हुआ है। यह पहली बार नहीं है जब कर्मचारियों की सैलरी ना देने का मुद्दा उठा है। इसके पहले भी कई मर्तबा कर्मचारियों को सैलरी न देने का मुद्दा सामने आया है। बार फिर से कर्मचारियों ने मोर्चा खोला है। सैलरी के अभाव में परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया है।

आधे शहर की सफाई का ठेका

बता दें कि रितेश टंडन की बर्फानी सिक्योरिटी सर्विसेज कंपनी के पास आधे से ज्यादा शहर की सफाई का ठेका है। बर्फानी सिक्योरिटी सर्विसेज के पास शहर के साथ जोन कार्यालय के वार्डों यानी कि आधे से ज्यादा शहर की सफाई का ठेका है।

एक हफ्ते पहले लगा था 25 लाख जुर्माना

बर्फानी सिक्योरिटी सर्विसेज कंपनी पर भारी गोलमाल को लेकर निगम कमिश्नर प्रीति यादव ने 25 लाख का जुर्माना लगाया था। कंपनी के मालिक रितेश टंडन वार्डों में स्वीकृत कर्मचारियों की संख्या से एक तिहाई कर्मचारी से ही काम करवा रहे थे, जिसके चलते शहर की सफाई व्यवस्था गड़बड़ा गई थी। जिन वार्डों में 35 से 40 कर्मचारी तैनात होने थे वहां महज 10 से 12 कर्मचारी ही मिले जिसे लेकर निगम कमिश्नर ने कंपनी के मालिक पर 25 लाख का रुपए का जुर्माना लगाया था।

पहले भी लग चुका है जुर्माना

बर्फानी सिक्योरिटी सर्विसेज पर जनवरी 2025 में भी 4:15 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया था। साल 2024 में भी इस तरह की धोखाधड़ी करने पर कई बार जुर्माने की कार्रवाई हो चुकी है बावजूद इसके बर्फानी सिक्योरिटी सर्विसेज अपने हरकतों से बाज नहीं आ रही।

जमीन पर आधे से भी काम कर्मचारी

सफाई के नाम पर हो रहे इस गोरख धंधे में 30 से 40 कर्मचारी एक वार्ड में दिखाए जाते हैं जबकि जमीन पर एक तिहाई कर्मचारी इस सफाई व्यवस्था को संभालते हैं और ऐसे में वार्डों की सफाई व्यवस्था लचर हो जाती है जिसकी कई बार स्थानीय लोग पार्षदों से लेकर अधिकारियों तक शिकायत करते हैं लेकिन नीचे से लेकर ऊपर तक मिली भगत होने के चलते न तो कंपनी का कुछ हो पता है न ही ठेकेदार का कोई बाल बांका हो पता है।

दागदार व्यक्ति पर ही क्यों मेहरबान है निगम?

सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि इतने दागदार व्यक्ति और बदनाम हो चुकी कंपनी पर इतनी मेहरबानी क्यों की जा रही है। आखिर क्यों इतनी सारी अनियमिताओं के बावजूद शहर की सफाई का जिम्मा इस कंपनी को दिया जाता है। सिर्फ शहर की सफाई ही नहीं बल्कि नगर निगम के अतिक्रमण अमले में भी जो आउटसोर्स कर्मचारी है उसका भी ठेका बर्फानी सिक्योरिटी सर्विसेज को दिया जाता है। जानकार लोगों का कहना है जिस कंपनी के खिलाफ इतनी बार शिकायत, कई मर्तबा जुर्माना लग चुके हो आखिर उस कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने की जगह नगर निगम के अधिकारी इस कंपनी को बार-बार ठेका दे रहे है।

कई पार्षदों की भी मिलीभगत

सफाई व्यवस्था की देखरेख की जिम्मेदारी हर वार्ड के पार्षदों की भी है, हर महीने ठेकेदार के वाउचर पर स्थानीय पार्षदों के सिग्नेचर होते हैं जिसमें यह लिखा होता है कि उनके यहां हर रोज न केवल बराबर सफाई हो रही है बल्कि पर्याप्त कर्मचारी भी है ऐसे में पार्षद सफाई ठेकेदार से हर महीने 25000 रुपए महीना लेकर उनको अपनी तरफ से NOC देते हैं।

अपने आप को बीजेपी का करीबी बताता ठेकेदार

सफाई ठेका कर्मचारियों का मालिक रितेश टंडन अपने आप को भाजपा के कई नेता और मंत्रियों का करीबी बताता है। यही वजह है कि कई भाजपा नेताओं और निगम कर्मचारी के साथ मिली भगत करके इस तरह के गोरख धंधे को अंजाम दे रहा है।

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