अनमोल मिश्रा, सतना। आधुनिक भारत में डिजिटल इंडिया के नारे लगते हैं। लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है। सतना जिले के पुरवा गांव के आदिवासी बस्ती में एक ऐसा मंजर सामने आया है, जिसने हर देखने वाले को अंदर से झकझोर कर रख दिया। 17 साल का एक नाबालिक लड़का आशिकी कोल खेत के कुएं में गिरकर अपनी जान गंवा बैठा।
उसका शव चारपाई पर रखकर डेढ़ किलोमीटर कीचड़ पार कर गांव लाना पड़ा। जिसके बाद थाना प्रभारी कोठी गिरजा शंकर बाजपेई, जनपद सदस्य प्रतिनिधि धीरेन्द्र सिंह, ग्राम पंचायत पुरवा के सरपंच पवन सिंह मोनू के सहयोग से डायल 100 में शव रखकर कोठी अस्पताल पहुंचे।
परिजन जब शव को पोस्टमार्टम के बाद कोठी अस्पताल से लेकर वापस गांव ला रहे थे। तो वाहन गांव से डेढ़ किलोमीटर पहले ही कीचड़ में फंस गया। इसके आगे सड़क तो जैसे नाम की भी नहीं थी बस गीली मिट्टी, दलदल और फिसलन भरा रास्ता।
परिवार वालों ने मजबूरी में शव को खाट (चारपाई) पर रखा और नंगे पांव, कीचड़ से होते हुए शव को घर तक लाए, आंखें नम थीं, पांव थके हुए थे। लेकिन सिस्टम कहीं नज़र नहीं आया। गांव वालों ने कहा कि सालों से सिर्फ आश्वासन मिलते हैं, नेता आते हैं, भाषण देते हैं। लेकिन जब जरूरत होती है, कोई नहीं दिखता, हम आज भी नरकीय हालात में जी रहे हैं।
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