निशांत राजपूत, सिवनी। मध्य प्रदेश के कई जिलों से भारी बारिश के बीच स्कूलों की जर्जर हालातों की तस्वीर सामने आ रही है। ऐसा ही एक वीडियो सामने आया प्रदेश के सिवनी से। यहां एक सरकारी स्कूल की टपकती छत से बचने के लिए प्लास्टिक पन्नी का सहारा ले रहे हैं। लेकिन एमपी के स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने इस अव्यवस्था पर ऐसा गैरजिम्मेदाराना बयान दिया, जिससे सियासी बवाल मचना तय माना जा रहा है। 

रील बनाने के लिए बनाते हैं Video

टपकती छत को लेकर स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह का कहना है कि रील बनाने के चक्कर में ऐसे वीडियो बनाते हैं। वहीं उन्होंने बिना नाम लिए अपनी ही बीजेपी सरकार पर भ्रष्टाचार का ठीकरा फोड़ दिया। खुद को इस मामले से अलग कर मंत्री ने कहा, यह कोई 7 महीने पहले नहीं बना है। छत टपकने के पीछे का वह भ्रष्ट तंत्र, जिसने इसे बनवाया, किसी को दण्डित करने का काम जिन्होंने नहीं किया, वे सब दोषी हैं। 

बता दें कि सिवनी मसूरभंवरी गांव के प्राथमिक स्कूल पानी टपकती छत के चलते स्कूल के क्लास रूम के अंदर प्लास्टिक लगा दी गई थी। इस मामले में जब मीडिया ने मंत्री जी से सवाल किया तो इस पर संज्ञान लेने के बजाय उन्हें इससे पल्ला झाड़ने की तरकीब सूझ गई। मंत्री ने कहा कि ‘आजकल रील्स बनाने का दौर है। हो सकता है किसी ने पॉलिथिन लगा दी हो और उसकी मंशा रील बनाने की हो। जिसके चलते इस तरह का प्रयोग किया गया।  

बिना नाम लिए अपनी सरकार को घेरा?

मंत्री उदय प्रताप सिंह ने प्लास्टिक वाली पाठशाला में पढ़ने वाले बच्चों के मामले में बिना नाम लिए अपनी ही बीजेपी सरकार को घेर दिया। उन्होंने कहा कि यह पिछले 7 महीनों में नहीं हुआ कि छत टपकने लगी। इसके पीछे उस समय का भ्रष्ट तंत्र जिसने निर्माण कराया, निर्माण कराने वाली एजेंसी, उन्हें दण्डित न करने का काम जिस अव्यवस्था ने किया, वे सब दोषी हैं। 

सोचा कांग्रेस का, निकला बीजेपी का

दरअसल, स्कूल शिक्षा मंत्री को लगा था कि यह कांग्रेस की सरकार का बनाया विद्यालय है। लेकिन लल्लूराम डॉट कॉम की पड़ताल में यह शिवराज सरकार का बनवाया हुआ निकला।  

लल्लूराम डॉट कॉम की पड़ताल में निकली शिवराज सरकार की बनाई बिल्डिंग

मंत्री जी ने जिस स्कूल में भ्रष्टाचार की बात कही थी, वह लगभग 50 साल पुराना स्कूल भवन था। यहां पहली से पांचवी तक की कक्षाएं संचालित होती थी। जर्जर हो जाने की वजह से साल 2011 में उसे डिस्मेंटल कर दिया गया। प्राथमिक स्कूल के प्रांगण में मौजूद यह अतिरिक्त कक्ष है, जो शिवराज सरकार में साल 2006 में बनाया गया था। जिसमें 2011 से पहले से पांचवी तक की कक्षाएं संचालित हो रही हैं। 

जिला शिक्षा अधिकारी की लिस्ट में बिल्डिंग तोड़ने के आदेश

सिवनी के जिला शिक्षा अधिकारी की लिस्ट में इस बिल्डिंग को तोड़ने के आदेश हैं। या यू कहें कि इसमें कक्षाएं संचालित ही नहीं हो सकती। लेकिन मंत्री जी को कौन बताए कि उन्हीं की भाजपा सरकार में इस बिल्डिंग का निर्माण हुआ था जो अब जर्जर हो चुकी है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि इसे मंत्री जी का अल्प ज्ञान कहा जाए या सियासी स्टेटमेंट?

प्लास्टिक के सहारे पढ़ रहे बच्चे 

बता दें कि सिवनी के छपारा विकासखंड के गांव के मसूरभंवरी का प्राथमिक स्कूल भवन जर्जर हो गया है। एक ही भवन में छात्र-छात्राओं को मध्यान भोजन और शिक्षा को दी जाती है। लगातार हो रही बारिश के चलते छत टपकने लगी, जिसके चलते कक्षा के अंदर प्लास्टिक लगा दी गई। जिसके नीचे बैठकर 38 बच्चे पढ़ाई कर रहे थे। इसका वीडियो वायरल हुआ था। जिसके बाद अब स्कूल शिक्षा मंत्री का यह गैर जिम्मेदाराना बयान आया है। 

पल्ला नहीं झड़ना, जिम्मेदारी संभालनी है मंत्री जी

मध्य प्रदेश में नई सरकार का गठन हुए लगभग 7 महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है। लगातार मोहन सरकार के नेतृत्व में प्रदेश के जर्जर स्कूलों को सुधारने और नए स्कूलों की सुविधा देने का काम किया जा रहा है। ऐसे में स्कूल शिक्षा मंत्री का अव्यवस्था से पल्ला झाड़ना किस हद तक सही है? अब देखना होगा कि क्या मंत्री इन अव्यवस्थाओं को दूर करने में सफल होंगे या फिर फिर कोई नया बहाना बनाकर इससे बचने की तरकीब ढूंढेंगे।  

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