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विजेंद्र सिंह राणा, सीहोर. जिला न्यायालय ने आज एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. जो मध्य प्रदेश में सबसे लंबे समय से चल रहे मामले में आया है. यह मामला 1988 से लंबित था और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने दर्ज किया था. मामले में धारा 409, 420 और 34 के तहत आरोपियों को दंडित किया गया है.
इस मामले में एक आरोपी को बरी किया गया है, जबकि अन्य 39 आरोपियों को जेल भेजा गया है. यह मामला आईडीपी योजना से जुड़ा है. जिसके अंतर्गत राज्य सरकार ने एक स्कीम जारी की थी. योजना के तहत अगर किसी लाभार्थी की मृत्यु होती है तो उसके नॉमिनीज को बीमा की राशि का दावा किया जा सकता था.
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मामला तब सामने आया जब 1998 में 1485 दावों का फर्जी भुगतान किया गया. जिसमें नॉमिनीज फर्जी थे. इस फर्जीवाड़े का खुलासा होने पर यह पता चला कि 72 लाख 9000 रुपये की राशि का गबन किया गया था. इस मामले में कुल 49 आरोपियों के खिलाफ EOW ने पत्र जारी किया था. यह फैसला 26 वर्षों के बाद आया है. वहीं 9 लोग मौत हो चुकी है. इस पूरे मामले में आरोपियों को 5-5 और 3-3 साल की सजा हुई है.
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