अनिल मालवीय, इछावर, (सीहोर) वैसे तो स्कूल बच्चों के पढ़ाई करने के लिए होता है, लेकिन मध्य प्रदेश के सीहोर जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे जानकर आपको भी हैरानी होगी। यहां इछावर में स्थित कन्या हायर सेकंडरी स्कूल भवन को प्रिंसिपल ने अपना आशियाना ही बना डाला। हैरानी वाली बात तो यह है कि शिकायत के बाद भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा इस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया। जबकि स्कूल पहले से कक्ष की कमी से जूझ रहा है। इस घटना के सामने आने के बाद डीईओ(जिला शिक्षा अधिकारी) की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।   

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कन्या हायर सेकंडरी स्कूल भवन को आशियाना बनाने वाले प्रिंसिपल का नाम जालिम सिंह है। वहीं प्राचार्य का इस तरह से विद्यालय में डेरा जमाने से न सिर्फ कक्षाएं संचालित करने में परेशानी हो रही है, बल्कि पढ़ाई के लिए आने वाली छात्राओं को भी विद्यालय में असहजता महसूस हो रही है। इधर प्राचार्य के स्कूल भवन में निवास करने का पालक भी विरोध कर रहे है और वह इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत भी करवा चुके हैं। लेकिन बड़े अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। 

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DEO के कार्यप्रणाली पर उठे सवाल

शिक्षा विभाग के अधिकारी संजय तोमर प्राचार्य को विद्यालय में निवास करने के मामले को अवैध और नियम विरुद्ध जरूर मान रहे हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है संबंधित प्राचार्य के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि जिला शिक्षा अधिकारी कभी स्कूल का निरीक्षण ही नहीं करते हैं। नियानुसार तो बिना अनुमति के स्कूल के प्राचार्य और किसी भी शिक्षक को स्कूल में पढ़ाई के बाद रुकने का अधिकार नहीं है। बावजूद इस मामले पर DEO के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई, जो गंभीर विषय है।  

डीईओ और बीईओ एक दूसरे पर फोड़ रहे ठीकरा

वहीं प्राचार्य के स्कूल भवन को आशियाना बनाने का मामला उजागर होने के बाद डीईओ संजय तोमर ने कहा कि उन्होंने  जांच के लिए विकास खंड शिक्षा अधिकारी को लेटर भेजा है। लेकिन इस मामले में विकास खंड शिक्षा अधिकारी मानसिंह नाटी का कहना है कि मुझे जांच के लिए किसी प्रकार का कोई लेटर मिला ही नहीं। ऐसे अब सवाल उठता है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी किसे बचाने का प्रयास कर रहें हैं ?

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