कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश के पर्यटन विभाग का मशहूर जिंगल है- एमपी अजब है, सबसे गजब हुई। एमपी को यूं ही अजब-गजब प्रदेश नहीं कहा जाता। यहां कभी चम्मच घोटाला होता है तो कभी डामर घोटाला होता है। कभी डंपर तो कभी नर्सिंग कॉलेज, व्यापम जैसे स्कैम से प्रदेश हमेशा सुर्ख़ियों में रहता है। लेकिन कुछ भ्रष्टाचारी अधिकारियों ने तो हद ही कर दी। यहां सांपों के नाम पर ही करोड़ों का घोटाला कर दिया।

एक ही शख्स को 29 बार सांप से डसवाया
दरअसल, मध्य प्रदेश के सिवनी में सर्पदंश से इलाज करने के नाम पर 11 करोड़ से ज्यादा की राशि का गबन किया गया है। यह पूरा माजरा है केवलारी विधानसभा का, जहां 47 लोगों को सांप से कटवाकर फाइलों में मार दिया गया और उनके नाम पर करोड़ों रुपए सरकारी खजाने से निकाल लिए गए। लेकिन इनकी चोरी तब पकड़ी गई जब एक ही इंसान को 29 बार मौत दी गई।
MP में सांपों के नाम पर घोटाला: 279 जिंदा लोगों को ‘स्नैक’ से कटवाकर फाइलों में मारा, इतने करोड़ के गबन का हुआ खुलासा
जिंदा लोगों को बताया गया मुर्दा
कहा जाता है कि मुद्दों की कभी मौत नहीं होती। यही वजह है कि जिन सरकारी फाइलों में जिंदा लोगों को मुर्दा बताया गया था, वह फिर से जिंदा हो गया। एक बार फिर से फाइल जांच के लिए आगे बढ़ी और जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए।

करोड़ों की रकम का गबन
द्वारका बाई नाम की महिला को सांप ने 29 बार काटा और 29 प्रकरण बनाकर सरकारी खजाने से करोड़ों की रकम निकाली गई। इसी तरह रमेश नामक व्यक्ति को 30 बार अलग-अलग दस्तावेजों में मृत बताया गया, वह भी हर बार सांप के काटने से। इतना ही नहीं, रामकुमार को भी 19 बार मरा दिखाकर 38 फर्जी रिकॉर्ड के जरिए लगभग 81 लाख रुपये गबन किए गए।
सरकारी फाइलों में कई बार मारकर लूटा गया सरकारी खजाना
वहीं संत राम नाम के व्यक्ति को भी सरकारी फाइलों में कई बार मारकर सरकारी खजाना जमकर लूटा गया। इन नामों पर मृत्यु दावा और फसल क्षतिपूर्ति के आधार पर एक ही रिकॉर्ड को बार-बार संशोधित कर नए बिल तैयार किए गए और शासन की राशि को 314 खातों में ट्रांसफर किया गया। यह घोटाला वर्ष 2019 से शुरू हुआ और 2022 तक जारी रहा।

मिलीभगत से हुआ घोटाला
सर्पदंश से इलाज और मौत के नाम पर मुआवजे की आड़ में यह घोटाला तहसील और जिला स्तर पर मौजूद अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ। मृत व्यक्तियों के नाम पर बिना मृत्यु प्रमाण पत्र, पुलिस वेरिफिकेशन और पीएम रिपोर्ट के भी बिल पास किए जाते रहे। एक ही व्यक्ति को सरकारी फाइलों में 25 से 30 बार मारकर गबन किया गया।
मुख्य आरोपी परिवार, दोस्तों और जान-पहचान वालों के खातों में ट्रांसफर करता गबन की राशि
जांच में सामने आया कि मुख्य आरोपी गबन की राशि अपने परिवार, दोस्तों और जान-पहचान वालों के खातों में ट्रांसफर करता था। शासन की राशि सीधे लाभार्थी खातों में न जाकर, निजी खातों में पहुंचाई जाती थी। इस मामले के खुलासे के बाद SDM, तहसीलदार सहायक ग्रेड समेत 46 लोग दोषी साबित हुए हैं। लेकिन पूरे मामले में सिर्फ एक सरकारी मुलाजिम को बर्खास्त किया गया जबकि एक को सस्पेंड किया गया है। तहसीलदार, गौरी शंकर शर्मा, शेख इमरान, मंसूरी मोहम्मद, सिराज, हरीश लालवानी और स्टेनो सैयद हैदर की लॉगिन से पैसों का गबन हुआ था।
ये आरोपी थे शामिल


महा घोटाले के आरोपी अभी भी तोड़ रहे कुर्सी
सबसे खास खास बात यह है कि इस महा घोटाले में जो बड़े जालसाज हैं वह अब तक न केवल अपनी कुर्सियों पर बरकरार हैं बल्कि कई लोग तो प्रमोशन पाकर सरकारी नौकरी के मजे ले रहे हैं। कहने के लिए इस घोटाले के उजागर होने के बाद तत्कालीन सिवनी कलेक्टर ने कार्रवाई करते हुए महज एक अदने से कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त कर दिया। तो वहीं एक छोटे से कर्मचारी को सस्पेंड करके कार्रवाई के नाम पर इतिश्री कर दी और फाइल रफा दफा कर दी गई।
कब होगी कार्रवाई?
जांच रिपोर्ट में यह साफ हुआ कि शासन की राशि सीधे लाभार्थी खातों में न जाकर, निजी खातों में पहुंचाई गई। इससे साफ है कि यह गबन सुनियोजित और संगठित तरीके से किया गया। जबलपुर संभाग के वित्त विभाग की विशेष टीम द्वारा की गई जांच में यह खुलासा हुआ। जांच अधिकारी संयुक्त संचालक रोहित सिंह कौशल ने बताया कि यह रिपोर्ट अब सिवनी कलेक्टर को भेज दी गई है, जो आगे की कार्रवाई करेंगे। जबलपुर लेवल पर हुई इस घोटाले की जांच रिपोर्ट भेजे 1 महीने से ज्यादा का वक्त हो चुका है जांच रिपोर्ट भोपाल और संबंधित विभाग को भेज कर कार्रवाई कर राशि वसूलने की अनुशंसा की गई है लेकिन अब तक इस पर कोई कार्रवाई होती नहीं दिख रही।
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