
अजयारविंद नामदेव, शहडोल. सरकार हर जरूरतमंद को निशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए हर साल करोड़ों रुपये का बजट खर्च कर रही है. लेकिन इसके बावजूद भी लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल रही है. ताजा मामला आदिवासी बाहुल्य शहडोल जिले से सामने आया है. जहां हर रोज डॉग बाइट के मामले बढ़ते जा रहे हैं. लेकिन सरकारी अस्पतालों में पिछले कई दिनों से एंटी रेबीज के टीके खत्म हो चुके हैं. ऐसे में मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में जाना पड़ रहा है. पीड़ित को प्राइवेट अस्पताल में इस टीके के लिए 300 से 350 रुपये देने पड़ रहे हैं.
बता दें कि ब्यौहारी और बुढ़ार ब्लॉक से सबसे ज्यादा डॉग बाइट के मामले सामने आ रहे हैं. सरईकापा निवासी गणेश नापित ने बताया कि वो अपने सैलून जा रहे थे, तभी एक आवारा कुत्ते ने हमला कर घायल कर दिया. वो एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य बुढ़ार पहुंचे. लेकिन उन्हें इंजेक्शन नहीं मिला. इसके बाद वो प्राइवेट अस्पताल में जाकर 350 रुपये में एंटी रैबीज की इंजेक्शन ली. जबकि उन्हें अभी दो डोज और लगवाना है. आलम यह है कि धनपुरी, बुढ़ार सहित अन्य प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी एंटी रेबीज इंजेक्शन नहीं है.
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CMHO डॉ. राजेश मिश्रा ने बताया कि इंजेक्शन भोपाल से भेजे जाते हैं. ब्यौहारी और बुढ़ार में डॉग बाइट के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं, ऐसे में रोगी कल्याण समिति के जरिए से लोकल स्तर मरीजों को इंजेक्शन उपलब्ध कराने कहा गया है. बुढ़ार बीएमओ शैली जैन का कहना था कि हमको ऊपर से ही रेबीज के इंजेक्शन नहीं मिल रहे हैं. जिसके लिए हम रोज डिमांड कर रहे हैं. अगर 250 की मांग कर रहे है तो 5 या 10 ही मिल रहा है.
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