सुधीर दंडोतिया, श्योपुर/भोपाल। मध्य प्रदेश के श्योपुर में मां की हत्या करने वाले बेटे दीपक पचौरी को अपर सत्र न्यायाधीश एलडी सोलंकी की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा कि दीपक को तब तक फांसी दी जाए, जब तक उसकी मृत्यु न हो जाए। यह श्योपुर के इतिहास में दूसरा मामला है, जिसमें फांसी की सजा सुनाई गई है। 8 मई 2024 को दीपक ने अपनी मां ऊषा देवी के गायब होने की झूठी रिपोर्ट थाने में दर्ज की थी।
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सख्त पूछताछ में उसने सच उगल दिया। 6 मई की सुबह ऊषा देवी तुलसी पर जल चढ़ाने छत पर जा रही थीं, तभी दीपक ने उन्हें सीढ़ियों से धक्का दे दिया। सिर में गंभीर चोट लगने के बाद उसने रॉड से तीन-चार बार सिर पर वार किया और फिर साड़ी से गला घोंटकर हत्या कर दी। इसके बाद शव को लाल कपड़े में लपेटकर घर के अंदर सीढ़ियों के नीचे बने बाथरूम में गड्ढा खोदकर दफना दिया। फिर ईंट से चुनाई कर दी।
कोर्ट ने अपने फैसले में मां को सभी धर्मों में पूजनीय बताते हुए लिखा कि जिस मां की गोद में पला-बढ़ा, उसी को 32 लाख की एफडी के लिए मार देना घोर पाप है। कोर्ट ने अपने आदेश में हिंदू धर्म का हवाला देते हुए रामचरितमानस का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है:“सुनु जननी सोइ सुतु बड़भागी। जो पितु मातु वचन अनुरागी। तनय मातु-पितु तोषनिहारा। दुर्लभ जननी सकल संसारा।” अर्थात, वही पुत्र सौभाग्यशाली है, जो माता-पिता के वचनों का पालन करता है और उन्हें प्रसन्न रखता है। ऐसे पुत्र संसार में दुर्लभ हैं।
सिक्ख धर्म के अनुसार, गुरुग्रंथ साहिब में मां की महिमा का उल्लेख है:
“मात पिता की सेवा करही, अपना गति भिती जाणी। वीर बिना कुल कैसे चले, मात पिता को राखी करे।”
अर्थात, जो माता-पिता की सेवा करता है, वही कुल का रक्षक और सच्चा वीर है। मां को भूल जाना अधर्म नहीं, घोर पाप है।
मुस्लिम धर्म के अनुसार, कुरान की सूरा अल-इसरा, आयत 23 में कहा गया है:
“तुम्हारे रब ने हुक्म दिया है कि उसके सिवा किसी की इबादत न करो और माता-पिता के साथ अच्छा व्यवहार करो। यदि वे बुढ़ापे में तुम्हारे पास हों, तो उन्हें उफ तक न कहो और शिष्टाचार से बात करो।”
क्रिश्चियन धर्म के अनुसार:
बाइबिल में माता-पिता का अपमान न करने की शिक्षा दी गई है। इसमें कहा गया है कि माता-पिता का अपमान या उनकी हत्या प्राणदंड योग्य अपराध है। कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात का उल्लेख किया कि जो व्यक्ति अपने माता-पिता को मारे या श्राप दे, वह मृत्यु का भागी है।
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